Saturday, March 3, 2012

उत्तर प्रदेश में कौन होगा किंग ?
उत्तर प्रदेश में आख़िरी चरण के चुनाव भी संपन्न हो चुके हैं. जनता अपना फैसला कर चुकी है. सभी उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ई वी एम् मशीनों में बंद हो चुका है. अब देखना ये है कि उत्तर प्रदेश में किस पार्टी की सबसे ज्यादा सीटें आती हैं और किस पार्टी की सरकार बनती है. अब तक तो टी.वी -अखबारों में यही देखते-सुनते आये हैं कि इस बार कांग्रेस उतर प्रदेश में कुछ बड़ा धमाका करने जा रही हैं, कुछ चैनल तो यहाँ तक दावे करते देखे गए की इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ही सरकार बनाने जा रही है. मीडिया का एक वर्ग सपा की तो दूसरा वर्ग भाजपा की सरकार बन्ने का दावा कर रहा है. सब सब लोग यूँ तो चुनाव के समय किये गए इस तरह के दावों की हकीकत जानते हैं मगर कुछ  सीधे -सादे आम लोग इन पर भरोसा भी कर लेते हैं. 'पैड न्यूज' के चलन ने लोक तंत्र की अहमियत की जो धज्जियाँ उडाई हैं , वो किसी ने नहीं उडाई . उत्तर प्रदेश में कांग्रेस , भाजपा और सपा ने जिस तरह प्रचार में पैसा उड़ाया है , उससे लगता है मानो हम किसी बेहद अमीर देश में रह रहे हैं. मतदाताओं को लुभाने के लिए इस तरह की ख़बरें प्रकाशित या प्रसारित की गयीं जिनका सच्चाई से कुछ लेना-देना नहीं है. हकीकत तप ये है की उत्तर प्रदेश का युवा पूरी तरह से बसपा के साथ है और उसने आक्रामकता के साथ हाथी के पक्ष में वोटिंग की है. इसलिए यह दावे के साथ कहा जा सकता है की उत्तर प्रदेश में चाहे जो हो जाए मगर बहुजन समाज पार्टी ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी और कांग्रेस सबसे अंतिम यानी की चौथे नंबर की पार्टी थी है और रहेगी . कांग्रेस ने देश को बर्बादी के कगार पर लाकर खडा कर दिया है. देश के ९० परसेंट लोग पेट की भूख शांत करने की लड़ाई लड़ रहे हैं. कांग्रेस की गरीब विरोधी नीतियों ने मंहगाई को सातवे आसमान पर पहुँचा दिया है, जिससे गरीब लोग और भी गरीब होते जा रहे हैं. कांग्रेस ने ही देश में उंच-नीच को बढ़ावा दिया , यही पार्टी है जिसने साम्प्रदायिक माहौल तैयार करके इंसान को इंसान से जुदा किया . इसी पार्टी के हजारों नेता देश का पैसा हड़प करके जेल की सजा भोग रहे हैं और हजारों भ्रष्ट नेता सत्ता की ताकत के बल पर अभी बचे हुए हैं. ऐसी पार्टी का उत्तर प्रदेश में सरकार बनाना सिर्फ खाबों में ही हो सकता है या फिर 'पैड न्यूज' का करिश्मा यह सब करवा सकता है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का जिला स्तर पर भी संगठन नहीं है. तहसील , ब्लोक और गाँव की तो बात ही छोड़ दीजिये . इसके विपरीत बहुजन समाज पार्टी का संगठन मोहल्ले और गली लेबल पर भी बना हुआ है. ऐसी कोई गली या मोहल्ला नहीं है जहां पर हाथी के साथी मौजूद न हों. इससे भी बड़ी बात ये की बसपा के जो पक्के वोटर हैं वो बिकने वाले नहीं हैं, झुकने वाले नहीं हैं. बसपा का वोट बैंक ज़रा भी हिलने -डुलने वाला नहीं है. जब-जब विरोधियों ने मायावती , कांशीराम या डॉक्टर आंबेडकर की मूर्तियों का विरोध किया है तब-तब मायावती और भी ज्यादा मजबूत बनकर उभरी हैं. बहुजन समाज पार्टी को जब -जब सजीश के तहत तोड़ा गया , तब-तब बहुजन समाज पार्टी और भी मजबूत बनकर उभरी है. इस बार भी विरोधियों ने मायावती पर जमकर हमले बोले हैं , जान लीजिये मायावती उतनी ही ज्यादा मजबूत बनकर उभरेंगी . झूठे सर्वे या झूठी अफवाहें सिर्फ मन बहलाने के लिए कारगर हो सकती हैं , वोट डालने में ये कुछ सहायता नहीं कर पाएंगी . सपा की सरकार बनाने की बातें महज काल्पनिक हैं, क्योंकि सपा और कांग्रेस का वोट बैंक एक हे है . अगर कांग्रेस बढ़ेगी तो सपा घटेगी और सपा बढ़त लेगी तो कांग्रेस को कम होना है. मायावती ने उत्तर प्रदेश में जिस तारः की सोशल इंजीनियरिंग की है वह उन्हें फिर से किंग बन्ने की तारफ लेजा  रही है. ज्यादा समय भी नहीं है. ६ तारीख नजदीक है.रिजल्ट सबके सामने आ जाएगा 

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