Wednesday, September 21, 2011

सो रही सरकार
नक्कालों का बाजार

आजकल बाजार में चले जाइए , हर चीज मंहगी तो है ही , नकली भी मिल रही है . कोई ऐसी चीज नहीं जिस पर भरोसा किया जा सके .
दूध खरीदते हैं तो उसमे यूरिया खाद, वाशिंग पावडर की मिलावट होती है , दूधिया पहले से ही नंबर बढाने के चक्कर में उसमे कीचड मिलाकर लाते हैं.
मसालों में विभिन्न प्रकार की गंदगियां जैसे घोड़े की लीद ,पिसी हुई ईंट आदि की मिलावट होती है , घी में मृत जानवरों की चर्बी मिलाई जाती है .
दाल में कंकड -पत्थर के टुकड़े मिलाए जाते हैं. सब्जियों में भी तरह-तरह की मिलावट की जाती है . कुछ दिन पहले मैं भायंदर पश्चिम की सब्जी मार्केट में
, मेरी इच्छा वटाना (हरी मटर ) खरीदने की थी , मैं एक ऐसे दुकानदार के पास गया , जिसके पास हरी मटर रखी थी , मगर उसके छिलके सादे जैसे लग रहे थे
उसको भी वह ३५ रुपये पाँव दे रहा था . वहीं पर उसने मटर के दाने रखे हुए थे , मैंने उसके बारे में पूछताछ की तो उसने बताया कि असली हरी मटर के दाने
हैं, मैंने एक पाँव खरीद लिए , उनमे से एक दाना तोड़कर भी खाया . घर आने पर , मैंने मटर के उन दानों को पानी में रखने को बोल दिया. सुबह जब मेरी
उस मटर पर नजर पडी तो हैरान रहा गया. मटर से छिलके उअतर रहे थे और पानी पूरा हरा- हरा हो गया था.मैं समझ गया कि दाल में क्कुछ काला जरूर है
, जब ध्यान से देखा तो पता चला कि वह हरी मटर नहीं थी. उसमे कुछ दाने हरी मटर के तो बाकी सूखी मटर को फुलाकर रख दिया गया था, इसके बाद
उसे रंगकर १०० रुपये किलो के भाव से बेचा जा रहा था. यह जिक्र इसलिए किया जब स्टार न्यूज पर देखा कि अलीगढ़ में सब्जियों को रंगकर बेचा जा रहा था
, जब सम्बंधित विभाग के अधिकारियों ने छापा मारा तब इस गोरख्धंधे का भंडाफोड हुआ. हाल ही पता चला कि लौकी को जल्दी बढाने के लिए टोक्सिन का इन्जेक्शन
लगाया जाता है . दिल्ली के एक वैज्ञानिक की कुछ महीनों पहले लौकी का जूस पीने से मौत हो गयी थी. उसमे भी यह बात बहुत उछली थी कि उनकी मौत लौकी में टोक्सिन
की मात्रा ज्यादा होने से हुई होगी. वैसे लौकी न तो जहरीली होती है और न ही कड़वी . मगर उस दिन उन्होंने लौकी का स्वाद कड़वा पाया था . हो सकता है कि
लौकी में मिलावट के कारण ही उनकी जान गयी हो . जयपुर और उत्तर प्रदेश में भी मिलावटी सॉस बनाने के कारखाने पकडे गए. बनारस के पान दरीबा इलाके से एक
ऐसी फैक्ट्री पकड़ी गयी जों प्लास्टर ऑफ पेरिस से कत्था बना रही थी. जयपुर में सडे हुए कद्दू और जहरीले रंगों से टमाटर सॉस बनाया जा रहा था. यानि कि अब कोई ऐसी
चीज नहीं बची है जिसे खाया जा सके. यहाँ तक कि हवा तक जहरीली हो चुकी है . हर चीज में जहरीली मिलावट है , और हर शहर , हर गाँव हर गली मोहल्ले में
इस तरह की जानलेवा मिलावट की जा रही है. हर इंसान इसका शिकार हो रहा है. फल , सब्जी, दूध , दही, मक्खन , श्रीखंड, घी , यहाँ तक कि सौंदर्य प्रसाधन में भी
जहरीली मिलावट की जा रही है . ज्यादा मुनाफ़ा कमाने के लिए देश की निर्दोष जनता के साथ विश्वाश्घात किया जा रहा है . आज जब हम कुछ खाते -पीते हैं, या फिर
कुछ खरीदते हैं तो अपनी मेहनत की कमाई के साथ -साथ अपना अपना स्वास्थ्य भी लुटा बैठते हैं. हमें पता ही नहीं होता कि जानलेवा मंहगाई के बावजूद भी हम
किसी तरह कोई चीज खरीद रहे हैं , तो उसमे भी मिलावट मिलती है. देखा जाए तो मिलावट करने वाले लोग आतंकवादियों या नक्सलवादियों से भी ज्यादा खरतनाक
हैं , क्योंकि उनसे तो हम लोहा ले सकते हैं, क्योंकि हमें पता होता है कि हमारा दुश्मन कौन है. उसके लिए हमारे पास कई तरह की सेनाएं हैं. लड़ाके हैं. आधुनिक हथियार हैं.
पुलिस है . सब कुछ है . मगर मिलावट करके करोड़ों लोगों की जान से खिलवाड करने वालों से लड़ने के लिए हमारे पास क्या है ? कुछ भी नहीं. यहाँ तक कि एक सख्त
कानून भी नहीं . भाजपा और कांग्रेस की केन्द्र में ज्यादा सरकारें रही हैं , आज भी कांग्रेस की सरकार है मगर क़त्ल से भी खतरनाक इन मिलावटखोरों के खिलाफ कोई ऐसा
कडा कानून नहीं बनाया जा रहा, जिससे इस पर रोक लग सके. आज समय की जरूरत है कि खाद्य विभाग को सक्रिय करना चाहिए , इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करना
चाहिए और कोई ऐसा क़ानून बनाना चाहिए जिसमे मिलावाटखोरों को फांसी से कम का प्रावधान नहीं हो . जुर्माना भी ज्यादा हो और एक बार मिलावट करते अगर कोई
पकड़ा गया तो उसकी कंपनी बंद करने , एकाउंट सील करने , जमीन और सभी सामान जब्त करने का प्रावधान हो . तभी देश को बीमार करने वाले कसाइयों (मिलावटखोरों )
की नाक में नकेल पड सकती है .आज आलम ये है की बाजार पूरी तरह से मिलावट करने वाले नक्कालों की गिरफ्त में आ चुका है और सरकार खामश है। लोगों का तो यहाँ तक कहना है की सरकारी विभागों में बैठे भ्रष्ट अधिकारी सत्ता में बैठे कुछ सफ़ेद पोश भेडिये ही मिलावटखोरों का साथ देते अहिं। अगर सरकार सख्त हो जाए और ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करे तो आम आदमी को फायदा हो सकता है। लेकिन दिक्कत ये है की यह सरकार सिर्फ आम आदमी के साथ होने का दिकहवा या दावा भर करती है । अगर सरकार जनता के बारे में नहीं सोच सकती तोजनता को उसके बारे में सोचना चाहिए और मतदान के समय ऐसे लोगों को उनकी औकात दिखा देनी चाहिए ।

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