सुषमा स्वराज ने कहा कि यूपीए कार्यकाल के 2 साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए चेयर पर्सन सोनिया गांधी ने कहा था कि वो भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पीएम और सोनिया गांधी को घेरते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फिर पी. चिदंबरम को बचाने की प्रतिबद्धता क्यों दिखा रहे हैं। सुषमा ने कहा कि आरटीआई के माध्यम से जो चिट्ठी सामने आई है। उससे साफ होता है कि 2जी आवंटन में चिदंबरम की पूर्ण सहमति थी। जो काम राजा ने किया वही काम चिदंबरम ने भी किया है।
केंद्र सरकार को घेरते हुए सुषमा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के लोगों पर आरोप लगे तो उसे बचाया जाए और सहयोगी दल के लोग हों तो उन्हें फंसा दिया जाए, ये नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का इशारा समझते हुए सीबीआई भी चिदंबरम का बचाव करने में जुटी है। सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की दलीलें मेरी बातों को सिद्ध करती है।यह आरोप साफ़ करता है की पानी अब सर से ऊपर तक गुजर चूका है।यानी की सरकार अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है। इतने गंभीर और सटीक आरोपों के बाद भी अगर चिदम्बरम और पी एम् अपने पद पर बने रहते हैं तो यह लोकतंत्र का अपमान ही होगा। यहाँ अलग बात है की जब तक साबित नहीं होता तब तक सभी पाक साफ़ ही होते हैं मगर जन भावनाओं को समझना भी बहुत जरूरी होता है और कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें सुनने मात्र से ही असली और नकली की पहचान हो जाती है। आखिर ये जनभावना ही किसी आम इंसान को विधायक, सांसद, मंत्री या अन्य बड़े पदों पर पहुंचाती हैं। मगर कांग्रेस के लोग इस वास्तविकता को समझ नहीं रहे हैं। इलाज के नाम पर सोनिया गांधी भी खामोश हैं। वे अपनी पार्टी के लोगों के साथ बैठक करती हैं, सब बातें करती हैं मगर देश की जनता का सामने अपना मत नहीं रखतीं, आज देश की जनता यह जानना चाहती है की भ्रष्टाचार के खिलाफ शांतिपूर्वक धरना दे रही राजबाला को पुलिस ने आखिर इतना क्यों पीता की उसकी मौत तक हो गयी। आखिर बाबा रामदेव का क्या कसूर था कई उनकी जान पर बन आयी ? भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी जंग लड़ने वाले अन्ना हजारे को आखिर पहले क्यों गिरफ्तार किया गया और किसलिए इनकार के बाद उन्हें बाद में आन्दोलन करने की इजाजत दी गयी ? ये ऐसे सवाल हैं जिन पर देश सोनिया गांधी , राहुल गांधी जैसे नेताओं की राय जानना चाहता है। क्योंकि पूरा देश जानता है की असली रिमोट तो सोनिया गांधी के हाथ में हैं। बाकी सब तो उतने ही चलने वाले खिलौने हैं, जितनी की उनमे चाभी भरी जाती है। क्या ये जनभावना का अनादर नहीं की देश से जुड़े सीधे मुद्दों पर केंद्र पर शासन करने वाले यू पी ए की अध्यक्ष और भावी प्रधानमंत्री प्रचारित किये जाने वाले राहुल गांधी ने अपने होठों को जैसे सिल लिया है। आवाज खामोश हो चुकी है। जनता भी फिलहाल खामोश है। मगर इस खामोशी का आक्रोश आखिर कांग्रेस को ही सहना पड़ेगा। पब्लिक का मूड बदल रहा है जो सत्ता के नशेड़ियों को दिखाई नहीं दे रहा। दलालों की चाटुकारिता में वे सच्चाई से आँखें मूँद रहे हैं। मगर देखना , इस बार चुनाव में कितने ही कांग्रेस के कथित नेताओं की जमानत जब्त होने वाली हैं। आप तैयार हैं न ?
मेरी इन पंक्तियों पर भी गौर फरमाएं -
भोले भारत देश का , कर दिया बंटाधार ।
सर से लेकर पाँव तक, भ्रष्ट केन्द्र सरकार ।
भ्रष्ट केंद्र सरकार , सभी की आफत आयी ।
आसमान को छू रही , ज़ालिम मंहगाई ।
नेता हैं मदमस्त , निगोड़े मौज उड़ाते ।
सच्चे हैं सब त्रस्त, खून के अश्क बहाते ।
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