Saturday, March 3, 2012

उत्तर प्रदेश में कौन होगा किंग ?
उत्तर प्रदेश में आख़िरी चरण के चुनाव भी संपन्न हो चुके हैं. जनता अपना फैसला कर चुकी है. सभी उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ई वी एम् मशीनों में बंद हो चुका है. अब देखना ये है कि उत्तर प्रदेश में किस पार्टी की सबसे ज्यादा सीटें आती हैं और किस पार्टी की सरकार बनती है. अब तक तो टी.वी -अखबारों में यही देखते-सुनते आये हैं कि इस बार कांग्रेस उतर प्रदेश में कुछ बड़ा धमाका करने जा रही हैं, कुछ चैनल तो यहाँ तक दावे करते देखे गए की इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ही सरकार बनाने जा रही है. मीडिया का एक वर्ग सपा की तो दूसरा वर्ग भाजपा की सरकार बन्ने का दावा कर रहा है. सब सब लोग यूँ तो चुनाव के समय किये गए इस तरह के दावों की हकीकत जानते हैं मगर कुछ  सीधे -सादे आम लोग इन पर भरोसा भी कर लेते हैं. 'पैड न्यूज' के चलन ने लोक तंत्र की अहमियत की जो धज्जियाँ उडाई हैं , वो किसी ने नहीं उडाई . उत्तर प्रदेश में कांग्रेस , भाजपा और सपा ने जिस तरह प्रचार में पैसा उड़ाया है , उससे लगता है मानो हम किसी बेहद अमीर देश में रह रहे हैं. मतदाताओं को लुभाने के लिए इस तरह की ख़बरें प्रकाशित या प्रसारित की गयीं जिनका सच्चाई से कुछ लेना-देना नहीं है. हकीकत तप ये है की उत्तर प्रदेश का युवा पूरी तरह से बसपा के साथ है और उसने आक्रामकता के साथ हाथी के पक्ष में वोटिंग की है. इसलिए यह दावे के साथ कहा जा सकता है की उत्तर प्रदेश में चाहे जो हो जाए मगर बहुजन समाज पार्टी ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी और कांग्रेस सबसे अंतिम यानी की चौथे नंबर की पार्टी थी है और रहेगी . कांग्रेस ने देश को बर्बादी के कगार पर लाकर खडा कर दिया है. देश के ९० परसेंट लोग पेट की भूख शांत करने की लड़ाई लड़ रहे हैं. कांग्रेस की गरीब विरोधी नीतियों ने मंहगाई को सातवे आसमान पर पहुँचा दिया है, जिससे गरीब लोग और भी गरीब होते जा रहे हैं. कांग्रेस ने ही देश में उंच-नीच को बढ़ावा दिया , यही पार्टी है जिसने साम्प्रदायिक माहौल तैयार करके इंसान को इंसान से जुदा किया . इसी पार्टी के हजारों नेता देश का पैसा हड़प करके जेल की सजा भोग रहे हैं और हजारों भ्रष्ट नेता सत्ता की ताकत के बल पर अभी बचे हुए हैं. ऐसी पार्टी का उत्तर प्रदेश में सरकार बनाना सिर्फ खाबों में ही हो सकता है या फिर 'पैड न्यूज' का करिश्मा यह सब करवा सकता है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का जिला स्तर पर भी संगठन नहीं है. तहसील , ब्लोक और गाँव की तो बात ही छोड़ दीजिये . इसके विपरीत बहुजन समाज पार्टी का संगठन मोहल्ले और गली लेबल पर भी बना हुआ है. ऐसी कोई गली या मोहल्ला नहीं है जहां पर हाथी के साथी मौजूद न हों. इससे भी बड़ी बात ये की बसपा के जो पक्के वोटर हैं वो बिकने वाले नहीं हैं, झुकने वाले नहीं हैं. बसपा का वोट बैंक ज़रा भी हिलने -डुलने वाला नहीं है. जब-जब विरोधियों ने मायावती , कांशीराम या डॉक्टर आंबेडकर की मूर्तियों का विरोध किया है तब-तब मायावती और भी ज्यादा मजबूत बनकर उभरी हैं. बहुजन समाज पार्टी को जब -जब सजीश के तहत तोड़ा गया , तब-तब बहुजन समाज पार्टी और भी मजबूत बनकर उभरी है. इस बार भी विरोधियों ने मायावती पर जमकर हमले बोले हैं , जान लीजिये मायावती उतनी ही ज्यादा मजबूत बनकर उभरेंगी . झूठे सर्वे या झूठी अफवाहें सिर्फ मन बहलाने के लिए कारगर हो सकती हैं , वोट डालने में ये कुछ सहायता नहीं कर पाएंगी . सपा की सरकार बनाने की बातें महज काल्पनिक हैं, क्योंकि सपा और कांग्रेस का वोट बैंक एक हे है . अगर कांग्रेस बढ़ेगी तो सपा घटेगी और सपा बढ़त लेगी तो कांग्रेस को कम होना है. मायावती ने उत्तर प्रदेश में जिस तारः की सोशल इंजीनियरिंग की है वह उन्हें फिर से किंग बन्ने की तारफ लेजा  रही है. ज्यादा समय भी नहीं है. ६ तारीख नजदीक है.रिजल्ट सबके सामने आ जाएगा 

Thursday, October 13, 2011

पिटाई प्रशांत की
भूमिका मीडिया की
अन्ना हजारे टीम के एक अहम सदस्य प्रशांत भूषन को कल श्रीराम सेना के सदस्यों ने जिस तरह से पीटा , उससे एक बात तो तय हो गयी है कि देश में एक खतरनाक प्रवृति पनपने लगी है। अगर इस प्रवृति को ज़रा भी हवा दी गयी तो ये बहुत संभव है कि यह आगे चलकर एक डेंजर संस्कृति बन जायेगी । अपना देश आज़ाद है और सभी को अपनी बात शान्ति पूर्ण तरीके से रखने का अधिकार है. ये अलग बात है कि हम उससे कितना इत्तेफाक रखते हैं. अगर हमें किसीकी बात पसंद नहीं आती तो हम शांतिपूर्वक तरीके से उसका विरोध कर सकते हैं . लेकिन मारपीट करना ठीक नहीं है. जब से मीडिया का हस्तक्षेप, लोकप्रियता या असर जो भी कहें, ये ज्यादा बढ़ा है तब से हाल ये हो गया है कि हल्का प्रचार पाने के शौक़ीन लोग कुछ भी तिकडम करके ख़बरों में आ जाना चाहते हैं. यह लिखने का मतलब ये बिलकुल नहीं है कि मीडिया के कारण ही सब कुछ उलटा सीधा हो रहा है, बल्कि इसको ऐसा समझा जा सकता है कि ये मीडिया के साइड इफेक्ट हैं. पप्रशांत भूषन की पिटाई के मामले में भी ऐसा ही नजर आ रहा है. अति उत्साही लोग शोर्ट कट रास्ता अपनाकर बस ये चाहते हैं कि किसी तरह से वे टीवी के परदे पर छा जाए. उनकी सोच ये रहती है कि भले ही नेगेटिव पब्लिसिटी हो , मगर होनी चाहिए .वे इस स्दिद्धांत पर काम करते हैं कि बदनाम हुए तो क्या नाम न होगा. प्रशांत पर हुआ हमला इसीकी परिणीति है. श्रीराम सेना के लोग इससे पहले भी इसी तरह की हरकत कर चुके हैं. जिन लोगों के पास अपनी सोच नहीं होती , अपने सिद्धांत नहीं होते वही लोग इस तरह की हरकत करते रहते हैं. जब अन्ना हजारे ने जब देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन का बिगुल बजाया तब उनके साथ गिने-चुने ही लोग थे. लेकिन अरविन्द केजरीवाल जैसे कुशल मीडिया प्रबंधक उनसे मिले तो यह आंदोलन देश-विदेश में भी चर्चित हो गया, इस भारी सफलता के पीछे मीडिया की भी अहम भूम८इक थी. यही कारण है कि श्रीराम सेना ने भी उसी मीडिया का सहारा लेकर यह हमला किया. मेरे कहने का अर्थ ये बिलकुल नहीं है कि प्रशांत ने कश्मीर को लेकर जो बयान दिया था , वह उचित था या नहीं. मगर मै प्रशांत पर हुए इस तरह के हमले की निंदा करता हूँ और हर शांतिप्रिय नागरिक को करनी चाहिए . अब समय आ गया है जब मीडिया को भी अपनी अहमियत और जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए
दलितों को कब तक सताओगे कभी खुद भी खाना खिलाओगे उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में मऊरानीपुर तहसील स्थित मेंडकी गांव में दलित कुंजीलाल आर्य के घर शाम को एक नए भिखारी ने दस्तक दी . भिखारी की सूरत तो जान -पहचान जैसी लगी, मगर उसका पहनावा भिखारियों जैसा बिलकुल नहीं था. हाँ, उसकी हरकतें जरूर भिखारिओं जैसी ही थीं, कुंजीलाल ने ध्यान देकर सुना तो पाया की वह उनसे खाना मांग रहा था. भूख लगी है, खाना मिलेगा ? कुंजीलाल हैरान . मगर गरीबों को भी एक अदा होती है, खुद भूखे रह सकते हैं मगर अपने घर आये किसी भूखे को निराश नहीं लौटा सकते. कुंजीलाल ने ध्यान से देखा तो खाना मांगने वाला देश का युवराज था. यानी की कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी . कुंजीलाल को उस वक्त तो यह एहसास हुआ की वह कितना गलत सोच रहा था , जिसे भिखारी समझा था वह तो टॉप का राजनीतिग्य निकला .मगर सच्चाई ये है की कुंजीलाल पहले सही था. साधारण सा दिखने वाला भिखारी असल में राष्ट्रीय स्टार का भिखारी निकला. दलित प्रेम की आड में राहुल गांधी वोटों की ऐसी भीख मांगने आये थे , जिसके दम पर राजा बना जाता है. अगर डॉक्टर अम्बेडकर दलितों को वोट देने का अधिकार नहीं दिलाते तो कोई राहुल कभी किसी गरीब दलित के घर इस तरह भीख मांगने नहीं जाता . जब-जब देश में भ्रष्टाचार की बात आती है, गरीबी , बेरोजगारी और मंहगाई की बात आती है तब-तब राहुल जी और उनकी माताजी न जाने किस कोने में छिप जाते हैं, जब देश इनकी तरफ आस लगा रहा होता है , जब -जब जनहित के मुद्दों की बात आती है, तब-तब इनकी बोलती बंद हो जाती है. तब ये न तो संसद में नजर आते, न किसी टीवी चैनल पर और न किसी गरीब के घर पर. आम आदमी की नजर में दिल्ली का अहल ये है 'कभी गूंगी ,कभी बहरी ,कभी कुछ होती रहती है . बड़े जनहित के मुद्दों पर ,ये ज़ालिम सोती रहती है. वतन उम्मीद जब करता, कभी मासूम जी इससे , तब यह बेवफा "दिल्ली" , हमेशा रोती रहती है.ये हाल है " दिल्ली " का. और गरीबों के मसीहा बन्ने का नाटक करने वालों का . कभी कोई मीडियाकर्मी , कोई कांग्रेसी या कोई समाजसेवी राहुल गांधी से ये नहीं पूछता की बेचारे दलितों के घर तुम कब तक खाते रहोगे, कब तक सोते रहोगे या फिर कब तक ये पिकनिक मनाते रहोगे ? कभी दलितों को भी तो अपने घर बुलाओ, उन्हें भी खाना खिलाओ, अपने आलीशान महलों में सोने का अवसर दो. क्योंकि किसी के घर खाना बड़ी बात नहीं है. बल्कि उसे अपने घर पर खिलाना बड़ी बात है. जैसे -जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, राजनेता तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं, माग्र अब जनता भी सब जान चुकी है. सिर्फ पाखण्ड और दिखावे के चक्कर में कोई आने वाला नहीं है. अगर राहुल सचमुच दलितों के हितैषी हैं तो उनको चाहिए की वे कांग्रेस कार्यकारिणी और सत्ता में भी उन्हें समुचित भागीदारी दें., तभी उन्हें विश्वाश होगा की राहुल की कथनी-करनी में अंतर नहीं है. यू पी में भले ही दलित अपनी चौखट पर आये किसी भिखारी को टुकड़ा दाल सकते हैं मगर ठप्पा तो उनका हाथी पर ही लगने वाला है

Wednesday, September 28, 2011

भोले भारत देश का कर दिया बंटाधार , सर से लेकर पाँव तक भ्रष्ट केन्द्र सरकार

इसे केन्द्र सरकार का अब तक का सबसे मुश्किल दौर कहा जा सकता है। ये पहला अवसर है जब भ्रष्टाचार के पाप के धब्बे सीधे-सीधे प्रधानमंत्री के दामन पर लगे महसूस होते हैं। भाजपा साफ़ कह चुकी है की जो कुछ हुआ उसमे प्रधानमंत्री की जिमीदारी और नजरंदाजी को कम नहीं आंका जा सकता । बीजेपी नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री के बयान पर हमला करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चिदंबरम का बचाव कर रहे हैं।

सुषमा स्वराज ने कहा कि यूपीए कार्यकाल के 2 साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए चेयर पर्सन सोनिया गांधी ने कहा था कि वो भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पीएम और सोनिया गांधी को घेरते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फिर पी. चिदंबरम को बचाने की प्रतिबद्धता क्यों दिखा रहे हैं। सुषमा ने कहा कि आरटीआई के माध्यम से जो चिट्ठी सामने आई है। उससे साफ होता है कि 2जी आवंटन में चिदंबरम की पूर्ण सहमति थी। जो काम राजा ने किया वही काम चिदंबरम ने भी किया है।

केंद्र सरकार को घेरते हुए सुषमा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के लोगों पर आरोप लगे तो उसे बचाया जाए और सहयोगी दल के लोग हों तो उन्हें फंसा दिया जाए, ये नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का इशारा समझते हुए सीबीआई भी चिदंबरम का बचाव करने में जुटी है। सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की दलीलें मेरी बातों को सिद्ध करती है।यह आरोप साफ़ करता है की पानी अब सर से ऊपर तक गुजर चूका है।यानी की सरकार अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है। इतने गंभीर और सटीक आरोपों के बाद भी अगर चिदम्बरम और पी एम् अपने पद पर बने रहते हैं तो यह लोकतंत्र का अपमान ही होगा। यहाँ अलग बात है की जब तक साबित नहीं होता तब तक सभी पाक साफ़ ही होते हैं मगर जन भावनाओं को समझना भी बहुत जरूरी होता है और कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें सुनने मात्र से ही असली और नकली की पहचान हो जाती है। आखिर ये जनभावना ही किसी आम इंसान को विधायक, सांसद, मंत्री या अन्य बड़े पदों पर पहुंचाती हैं। मगर कांग्रेस के लोग इस वास्तविकता को समझ नहीं रहे हैं। इलाज के नाम पर सोनिया गांधी भी खामोश हैं। वे अपनी पार्टी के लोगों के साथ बैठक करती हैं, सब बातें करती हैं मगर देश की जनता का सामने अपना मत नहीं रखतीं, आज देश की जनता यह जानना चाहती है की भ्रष्टाचार के खिलाफ शांतिपूर्वक धरना दे रही राजबाला को पुलिस ने आखिर इतना क्यों पीता की उसकी मौत तक हो गयी। आखिर बाबा रामदेव का क्या कसूर था कई उनकी जान पर बन आयी ? भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी जंग लड़ने वाले अन्ना हजारे को आखिर पहले क्यों गिरफ्तार किया गया और किसलिए इनकार के बाद उन्हें बाद में आन्दोलन करने की इजाजत दी गयी ? ये ऐसे सवाल हैं जिन पर देश सोनिया गांधी , राहुल गांधी जैसे नेताओं की राय जानना चाहता है। क्योंकि पूरा देश जानता है की असली रिमोट तो सोनिया गांधी के हाथ में हैं। बाकी सब तो उतने ही चलने वाले खिलौने हैं, जितनी की उनमे चाभी भरी जाती है। क्या ये जनभावना का अनादर नहीं की देश से जुड़े सीधे मुद्दों पर केंद्र पर शासन करने वाले यू पी ए की अध्यक्ष और भावी प्रधानमंत्री प्रचारित किये जाने वाले राहुल गांधी ने अपने होठों को जैसे सिल लिया है। आवाज खामोश हो चुकी है। जनता भी फिलहाल खामोश है। मगर इस खामोशी का आक्रोश आखिर कांग्रेस को ही सहना पड़ेगा। पब्लिक का मूड बदल रहा है जो सत्ता के नशेड़ियों को दिखाई नहीं दे रहा। दलालों की चाटुकारिता में वे सच्चाई से आँखें मूँद रहे हैं। मगर देखना , इस बार चुनाव में कितने ही कांग्रेस के कथित नेताओं की जमानत जब्त होने वाली हैं। आप तैयार हैं न ?

मेरी इन पंक्तियों पर भी गौर फरमाएं -

भोले भारत देश का , कर दिया बंटाधार ।
सर से लेकर पाँव तक, भ्रष्ट केन्द्र सरकार ।
भ्रष्ट केंद्र सरकार , सभी की आफत आयी ।
आसमान को छू रही , ज़ालिम मंहगाई ।
नेता हैं मदमस्त , निगोड़े मौज उड़ाते ।
सच्चे हैं सब त्रस्त, खून के अश्क बहाते ।

Wednesday, September 21, 2011

सो रही सरकार
नक्कालों का बाजार

आजकल बाजार में चले जाइए , हर चीज मंहगी तो है ही , नकली भी मिल रही है . कोई ऐसी चीज नहीं जिस पर भरोसा किया जा सके .
दूध खरीदते हैं तो उसमे यूरिया खाद, वाशिंग पावडर की मिलावट होती है , दूधिया पहले से ही नंबर बढाने के चक्कर में उसमे कीचड मिलाकर लाते हैं.
मसालों में विभिन्न प्रकार की गंदगियां जैसे घोड़े की लीद ,पिसी हुई ईंट आदि की मिलावट होती है , घी में मृत जानवरों की चर्बी मिलाई जाती है .
दाल में कंकड -पत्थर के टुकड़े मिलाए जाते हैं. सब्जियों में भी तरह-तरह की मिलावट की जाती है . कुछ दिन पहले मैं भायंदर पश्चिम की सब्जी मार्केट में
, मेरी इच्छा वटाना (हरी मटर ) खरीदने की थी , मैं एक ऐसे दुकानदार के पास गया , जिसके पास हरी मटर रखी थी , मगर उसके छिलके सादे जैसे लग रहे थे
उसको भी वह ३५ रुपये पाँव दे रहा था . वहीं पर उसने मटर के दाने रखे हुए थे , मैंने उसके बारे में पूछताछ की तो उसने बताया कि असली हरी मटर के दाने
हैं, मैंने एक पाँव खरीद लिए , उनमे से एक दाना तोड़कर भी खाया . घर आने पर , मैंने मटर के उन दानों को पानी में रखने को बोल दिया. सुबह जब मेरी
उस मटर पर नजर पडी तो हैरान रहा गया. मटर से छिलके उअतर रहे थे और पानी पूरा हरा- हरा हो गया था.मैं समझ गया कि दाल में क्कुछ काला जरूर है
, जब ध्यान से देखा तो पता चला कि वह हरी मटर नहीं थी. उसमे कुछ दाने हरी मटर के तो बाकी सूखी मटर को फुलाकर रख दिया गया था, इसके बाद
उसे रंगकर १०० रुपये किलो के भाव से बेचा जा रहा था. यह जिक्र इसलिए किया जब स्टार न्यूज पर देखा कि अलीगढ़ में सब्जियों को रंगकर बेचा जा रहा था
, जब सम्बंधित विभाग के अधिकारियों ने छापा मारा तब इस गोरख्धंधे का भंडाफोड हुआ. हाल ही पता चला कि लौकी को जल्दी बढाने के लिए टोक्सिन का इन्जेक्शन
लगाया जाता है . दिल्ली के एक वैज्ञानिक की कुछ महीनों पहले लौकी का जूस पीने से मौत हो गयी थी. उसमे भी यह बात बहुत उछली थी कि उनकी मौत लौकी में टोक्सिन
की मात्रा ज्यादा होने से हुई होगी. वैसे लौकी न तो जहरीली होती है और न ही कड़वी . मगर उस दिन उन्होंने लौकी का स्वाद कड़वा पाया था . हो सकता है कि
लौकी में मिलावट के कारण ही उनकी जान गयी हो . जयपुर और उत्तर प्रदेश में भी मिलावटी सॉस बनाने के कारखाने पकडे गए. बनारस के पान दरीबा इलाके से एक
ऐसी फैक्ट्री पकड़ी गयी जों प्लास्टर ऑफ पेरिस से कत्था बना रही थी. जयपुर में सडे हुए कद्दू और जहरीले रंगों से टमाटर सॉस बनाया जा रहा था. यानि कि अब कोई ऐसी
चीज नहीं बची है जिसे खाया जा सके. यहाँ तक कि हवा तक जहरीली हो चुकी है . हर चीज में जहरीली मिलावट है , और हर शहर , हर गाँव हर गली मोहल्ले में
इस तरह की जानलेवा मिलावट की जा रही है. हर इंसान इसका शिकार हो रहा है. फल , सब्जी, दूध , दही, मक्खन , श्रीखंड, घी , यहाँ तक कि सौंदर्य प्रसाधन में भी
जहरीली मिलावट की जा रही है . ज्यादा मुनाफ़ा कमाने के लिए देश की निर्दोष जनता के साथ विश्वाश्घात किया जा रहा है . आज जब हम कुछ खाते -पीते हैं, या फिर
कुछ खरीदते हैं तो अपनी मेहनत की कमाई के साथ -साथ अपना अपना स्वास्थ्य भी लुटा बैठते हैं. हमें पता ही नहीं होता कि जानलेवा मंहगाई के बावजूद भी हम
किसी तरह कोई चीज खरीद रहे हैं , तो उसमे भी मिलावट मिलती है. देखा जाए तो मिलावट करने वाले लोग आतंकवादियों या नक्सलवादियों से भी ज्यादा खरतनाक
हैं , क्योंकि उनसे तो हम लोहा ले सकते हैं, क्योंकि हमें पता होता है कि हमारा दुश्मन कौन है. उसके लिए हमारे पास कई तरह की सेनाएं हैं. लड़ाके हैं. आधुनिक हथियार हैं.
पुलिस है . सब कुछ है . मगर मिलावट करके करोड़ों लोगों की जान से खिलवाड करने वालों से लड़ने के लिए हमारे पास क्या है ? कुछ भी नहीं. यहाँ तक कि एक सख्त
कानून भी नहीं . भाजपा और कांग्रेस की केन्द्र में ज्यादा सरकारें रही हैं , आज भी कांग्रेस की सरकार है मगर क़त्ल से भी खतरनाक इन मिलावटखोरों के खिलाफ कोई ऐसा
कडा कानून नहीं बनाया जा रहा, जिससे इस पर रोक लग सके. आज समय की जरूरत है कि खाद्य विभाग को सक्रिय करना चाहिए , इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करना
चाहिए और कोई ऐसा क़ानून बनाना चाहिए जिसमे मिलावाटखोरों को फांसी से कम का प्रावधान नहीं हो . जुर्माना भी ज्यादा हो और एक बार मिलावट करते अगर कोई
पकड़ा गया तो उसकी कंपनी बंद करने , एकाउंट सील करने , जमीन और सभी सामान जब्त करने का प्रावधान हो . तभी देश को बीमार करने वाले कसाइयों (मिलावटखोरों )
की नाक में नकेल पड सकती है .आज आलम ये है की बाजार पूरी तरह से मिलावट करने वाले नक्कालों की गिरफ्त में आ चुका है और सरकार खामश है। लोगों का तो यहाँ तक कहना है की सरकारी विभागों में बैठे भ्रष्ट अधिकारी सत्ता में बैठे कुछ सफ़ेद पोश भेडिये ही मिलावटखोरों का साथ देते अहिं। अगर सरकार सख्त हो जाए और ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करे तो आम आदमी को फायदा हो सकता है। लेकिन दिक्कत ये है की यह सरकार सिर्फ आम आदमी के साथ होने का दिकहवा या दावा भर करती है । अगर सरकार जनता के बारे में नहीं सोच सकती तोजनता को उसके बारे में सोचना चाहिए और मतदान के समय ऐसे लोगों को उनकी औकात दिखा देनी चाहिए ।

Wednesday, September 14, 2011

बडबोले अमर को आइना

आज अदालत में इस बात की सुनवाई होनी है की पूर्व सपा नेता अमर सिंह को जमानत दी जाए की नहीं ? " वोट के लिए नोट " मामले में गिरफ्तार अमर सिंह को आज क्या मिलता है यह तो अदालत के आदेश के बाद ही पता चलेगा मगर हिन्दुस्तान के ज्यादातर लोग चाहते हैं की विवादास्पद छवि के अमर सिंह को शेष जीवन जेल में ही गुजारना चाहिए । अमर सिंह भले ही समाजवादी पार्टी में उच्च पद पर रहे, उन्हें राज्य सभा सदस्य तक बनाया गया,( आज भी हैं ) मगर उनकी छवि देश में बडबोले , ब्लेकमेलर और दलाल की बनी हुई है। जब अमर सिंह अपने विरोधियों के विरुद्ध भाषा का इस्तेमाल करते हैं तो सारी नैतिकता और मर्यादाएं लांघ जाते हैं। सड़क छाप शेर सुनाने और अभद्र भाषा के लिए मशहूर अमर सिंह अक्सर मुलायम सिंह यादव को उनकी पोल खोलने की धमकी देते रहते हैं। इस बार सपा सांसद जयाप्रदा ने भी कुछ इसी तरह की धमकी दी है। उन्होंने तो बिग बी अमिताभ बच्चन तक को हडका दिया । यहाँ तक कह दिया की अगर अम्र सिंह इनके बारे में जुबान खोलेंगे तो तहलका मच जाएगा। आऔर इसके बाद जब एक कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन से इस सम्बन्ध में किसी पत्रकार ने सवाल पुछा तो अमिताभ बच्चन भी चुप लगा गए। आखिर अमर सिंह अमिताभ बच्चन और मुलायम सिंह यादव के ऐसे कौन से राज जानते हैं , जिसके कारण उन्हें दर् लगा रहता है। यह जानने की उत्सुकता सभी को है।सब जानना चाहते हैं उस रहस्य को जिसके कारण अम्र सिंह का हौंसले इतने ज्यादा बुलंद हैं. लुच लोग मानते हैं की जीवन भर चुगली, चमचागीरी , दलाली करते रहने के आदी ( जैसा की आजम खान ने उनके बारे में बतया है , हो सकता है वह सही नहीं भी हो )अमर सिंह अब राजनीति में पूरी तरह से हाशिए पर हैं। किसी तरह चर्चा में बने रहने के के लिए भी वे बे सर पैर के बयान दे सकते हैं, उनके पूर्व के बयानों से ऐसे संकेत भी मिलटे हैं। हो सकता है की मुलायम सिंह यादव और अमिताभ बच्चन के कुछ खास राज अमर सिंह के सीने में दफ़न भी हों। खैर , मामला चाहे जो हो मगर यह सत्य है की आज जब अमर सिंह को उनके कुकर्मों की सजा मिल रही है, उन्हें जेल की हवा और एम्स की दवा कहानी पद रही है तो ऐसे समय उनके साथ कोई नहीं है। लेदेकर बेचारी एक जयाप्रदा हैं, वे
ही उनकी सेवा और बचाव कार्य में लगी हैं, एक कहावत है की अकेला चना क्या भाद फोड़ेगा ? ऐसा ही होता है जब इंसान अपना चरित्र भूल जाता है, अपनी नैतिकता छोड़ देता है और शोर्ट कट अपनाकर सेवा के बजाय सिर्फ " मेवा ' के बल पर राजनीति ऊंचाइयां चढना चाहता है। यूँ कहने को अमर सिंह ने अपना जन मोर्चा बनाकर कुछ सभा-सम्मलेन किये हैं मगर उनकी सोच वही पुराणी वाली ही है। राजनीति में अब उनकी हैसियत बस इतनी ही बची है की कांग्रेस की चमचागीरी करते रहें, उसे फायदा पहुंचाने के षड्यंत्र रचते रहें और उसके बदले अपने अस्तित्व को बचाए रखें। बाकी अरह -सहा आइना तो उन्हें अदालत दिखा ही चुकी है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ महा जंग , भ्रष्टाचार निवारक समिति के संग
----------------------------------------------------------------
भ्रष्टाचार के खिलाफ भ्रस्टाचार निवारक समिति का राष्ट्रीय महा सम्मेलन
==========================================
सभी साथियों को सहर्ष सूचित किया जाता है की आपके शहर जेवर स्थित एस डी एम् सभागार में दिनांक १८ / ०९/ २०११ को सुबह १० बजे से लेकर ३ बजे तक भ्रस्टाचार निवारक समिति का राष्ट्रीय सम्मलेन आयोजित किया गया है । इस सम्मलेन में मुख्य रूप से .............................................................................................
...................................................................................
उपस्थित रहेंगे । भ्रष्टाचार निवारक समिति का मानना है की
भ्रष्टाचार ऐसी महा खतरनाक बीमारी है जिसके कारण रिश्वत लेने और देने वाले दोनों की आत्मा मर जाती है. रोजाना करोड़ों लोगों का हक़ रिश्वतखोर बाबू , अफसर , नेता और मंत्री डकार जाते हैं. भ्रस्टाचार के कारण देश में करोड़ों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं. न रिश्वत दें और न लें, ऐसा करना सभ्य समाज के नाम पर कलंक है.अतः

आइये, हम सब मिलकर रिश्वत रूपी कलंक को मिटाने का प्रयास करें. जो चंद भ्रष्ट लोग करोड़ों लोगों के हक़ पर डाका डाल रहे हैं , उन्हें सबक सिखाएं । इस सम्मलेन में हजारों की संख्या में शामिल होकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में भ्रष्टाचार निवारक समिति का सहयोग करें।
* इस सम्मलेन में इस बात पर भी विशेष रूप से चर्चा की जायेगी की समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा प्रस्तावित जन लोकपाल बिल को पारित कराने के लिए सरकार और राजनीतिक पार्टियों पर किस तरह से दवाब बनाया जाए
* जन लोकपाल बिल में अनुसूचित जाति / जन जाति, पिछड़े वर्गों तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों जैसे मुस्लिम, बौद्ध, जैन , सिख आदि का विशेष ख़याल कैसे रखा जाए तथा इन समाज के लोगों के लिए विशेष रूप से कितना आरक्षण होना चाहिए , इस पर खास चर्चा।
*
न लोकपाल बिल में अनुसूचित जाति / जन जाति, पिछड़े वर्गों तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों जैसे मुस्लिम, बौद्ध, जैन , सिख आदि को भी प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए , इसके लिए देश भर में माहोल तैयार करना ।
* समाज सेवी अन्ना हजारे की टीम में भ्रस्टाचार निवारक समिति के किसी सदस्य का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए , इस पर व्यापक चर्चा ।

उम्मीद है आप सभी इस पुनीत अवसर पर अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज करायेंगे ॥

निवेदक --
संपर्क-