महेश भट्ट , अरुंधती राय ; इतिहास तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा
अन्ना हजारे आज जब आम इंसान की आवाज बन चुके हैं। हर शहर , कस्बा या गाँव के लोग उनमे अपनी छवि देखते हैं, यही कारण है की बहुत बड़ा जन सैलाब उनके समर्थन में उतर आया है और जितने लोग सड़क पर हैं उससे कई गुना ज्यादा लोग ऐसे हैं जो अभी अपने घरों में हैं मगर अन्ना के साथ हैं और किसी न किसी रूप में वे अन्ना को समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस की विडंबना ये है की सबसे ज्यादा उसीने देश पर शासन किया और सबसे ज्यादा मलाई भी कांग्रेसियों ने खाई है। अगर कांग्रेस अन्ना हजारे की बात मानकर जन लोकपाल बिल के लिए राजी हो जाति है तो सबसे ज्यादा तकलीफ कंग्रेस एंड कंपनी को ही होने वाली है। इसलिए वह अन्ना हजारे का विरोध कर रही है। कांग्रेस के चाटुकार मनीष तिवारी , दिग्विजय सिंह, चिदम्बरम और मुखर्जी तथा बड़े चापलूस अमर सिंह, लालू , महेश भट्ट और अरुंधती राय जैसे लोग अन्ना के आंदोलन के खिलाफ जहर उगलने में लगे हैं। मगर अब हालात बदल चुके हैं। पूरे देश में क्रान्ति की लहर चल निकली है। ऐसे समय जो अन्ना का विरोध करेगा लोग खुद ही उसके खिलाफ हो जायेंगे और अन्ना के आंदोलन को भी उतनी ही ज्यादा मजबूती मिलेगी । यह बात कांग्रेस की समझ में आ चुकी है। यही कारण है की कांग्रेस ने अन्ना हजारे पर हमले करने या तो कम कर दिए हैं या लगभग बंद कर दिए हैं। इसकी बजाय कांग्रेस भौं-भौं करने वाली एक जमात को अन्ना आंदोलन को बदनाम करने की सुपारी दे डाली है। सुपारीबाज लोगों में लाऊ प्रसाद यादव , अमर सिंह, महेश भट्ट , बुखारी , अरुंधती राय और तुषार जैसे लोग शामिल हैं. हाल ही में अरुंधती राय ने एक अखबार में लिखा की बिलकुल अलग वजहों से और बिलकुल अलग तरीके से, माओवादियों और जन लोकपाल बिल में एक बात सामान्य है. वे दोनों ही भारतीय राज्य को उखाड़ फेंकना चाहते हैं. एक नीचे से ऊपर की ओर काम करते हुए, मुख्यतया सबसे गरीब लोगों से गठित आदिवासी सेना द्वारा छेड़े गए सशस्त्र संघर्ष के जरिए, तो दूसरा ऊपर से नीचे की तरफ काम करते हुए ताजा-ताजा गढ़े गए एक संत के नेतृत्व में। यानी की अरुंधती राय की नजर में अन्ना अभी अभी बनाए गए ताजा संत हैं और उनके आंदोलन की तुलना भी माओवादियों से कर डाली है। जहर उगलते हुए वे आगे लिखती हैं की वह सचमुच कौन हैं, यह नए संत, जनता की यह आवाज़? आश्चर्यजनक रूप से हमने उन्हें जरूरी मुद्दों पर कुछ भी बोलते हुए नहीं सुना है। अपने पड़ोस में किसानों की आत्महत्याओं के मामले पर या थोड़ा दूर आपरेशन ग्रीन हंट पर, सिंगूर, नंदीग्राम, लालगढ़ पर, पास्को, किसानों के आन्दोलन या सेज के अभिशाप पर, इनमें से किसी भी मुद्दे पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा है। शायद मध्य भारत के वनों में सेना उतारने की सरकार की योजना पर भी वे कोई राय नहीं रखते. वे यही नहीं रुकती अन्ना हजारे और उनकी टीम पर तरह-तरह के आरोप लगाती हैं।राय शायद भूल गयी हैं की अन्ना हजारे जनता के चुने गए प्रतिनिधि , यानी विधायक , सांसद , मंत्री , मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नहीं है। वे एक आम इंसान हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत सालों से संघर्ष कर रहे हैं। इस संघर्ष में उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली है। उसी सफलता ने आज उन्हें क्रांतिवीर बना दिया है। राय को जो सवाल राहुल गांधी, प्रधानमंत्री , सोनिया गांधी , कपिल सिब्बल, दिग्विजय , चिदम्बरम या मुखर्जी से करने चाहिए और जो उम्मीदें इन लोगों से रखनी चाहिए वे अन्ना हजारे से रख रही हैं। राय की यह खीझ समझ से परे है. वे किसी एजेंट की तरह बात कर रही हैं. अन्ना संत नहीं महा संत है. उनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती . कांग्रेस की चमचागीरी कर राज्यसभा पहुँचने की होड ने आम जनता की आवाज समझे जाने वाले महेश भट्ट की की बुद्धि को भ्रष्ट कर दिया है. महेश भट्ट कहते हैं -अन्ना हम फिल्मकारों की तरह जनता को एक छद्म सपने की आस देकर लुभा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अन्ना के आंदोलन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसे संगठन समर्थन दे रहे हैं।उन्होंने कहा कि अन्ना के आंदोलन को समर्थन देने वाले युवाओं को इस मुद्दे की ठीक से समझ नहीं है और वे इस पर ठीक ढंग से आत्ममंथन भी नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि टीम अन्ना द्वारा प्रस्तावित जनलोकपाल विधेयक की कोई जवाबदेही नहीं होगी अतः यह सही मायनों में एक लोकतांत्रिक समाज के अनुरूप नहीं होगा।अब अक्ल के अन्धों से कोई ये पूछे की समर्थन लेना कौन सी बुरी बात है . अन्ना हजारे भाजपा या आर एस एस को समर्थन दे तो नहीं रहे, ले ही रहे हैं. अब भी सुधरने का वक्त है सुधर जाओ वरना महेश भट्ट , अरुंधती राय ; इतिहास तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा. कांग्रेस के चमचो ;अब यह तय हो गया है की जो भ्रष्टाचारी होगा, वही अन्ना का विरोधी होगा । यह बात पूरे देश के लोग जान चुके हैं।अन्ना हजारे नाम की जो आंधी उठी थी उसने अब तूफ़ान का रूप धारण कर लिया है. जो चिंगारी थी वह अब तूफ़ान बन चुकी है। इस ज्वालामुखी में भ्रष्टाचार का भस्मासुर तो जलकर राख होगा ही, कांग्रेस के कलंकित चमचे और सुपारीबाज भी अन्ना के तूफ़ान में उड़ जायेंगे । जय हिंद॥ जय अन्ना ॥
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