कांग्रेस ने अब आकर चैन की सांस ली है। कांग्रेस के नेता अब जाकर सुख से सोये होंगे । वरना अन्ना हजारे एंड टीम ने पिछले कुछ दिनों से कांग्रेसियों के दिल का सुकून छीन लिया था । भ्रष्टाचार के दानव ने बहुत खतरनाक रूप धारण कर लिया था। यह हर जगह स्ट्रोंग हो चला है। ऐसा कोई काम नहीं जिसे बिना रिश्वत दिए कराया जा सके। और तो और यह न्यायपालिका में भी खूब फल-फूल रहा है। अगर आप कभी कोर्ट गए हों तो आप जानते ही होंगे की तारीख के बदले पेशकार को रिश्वत देनी ही पड़ती है। यानि की न्याय के देवता की कुर्सी के पास बैठा सरकारी कर्मचारी भी बिना पैसा लिए इच्छित तारीख नहीं देता। सिर्फ पेशकार ही क्यों, ऐसा कोई सरकारी विभाग नहीं है जहाँ पर रिश्वत का शैतान न हो। आम इंसान के लिए जो अरबों -अरबों की योजनाएं बनाई जाती हैं, वे सब की सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ जाती हैं। मनरेगा इसका सबसे सशक्त उदाहरण है। इस योजना के तहत जो रकम आती है उसमें से ९० परसेंट तक ग्राम प्रधान, प्रधान के चमचों, सेक्रेटरी और खंड विकास अधिकारी की जेब में चली जाती है। उसी व्यक्ति का कार्ड बनाया जाता है जो स्वेच्छापूर्वक रिश्वत दे सके। जो वास्तब में बेरोजगार हैं, जो काम करना चाहते हैं और जिन्हें काम की जरूरत है, उन्हें मनरेगा से कोई मदद नहीं मिलती। यहाँ तक की ग्रामीण भागों में वृद्ध पेंशन अथवा विधवा पेंशन के लिए भी सम्बंधित कर्मचारियों और अधिकारों को रिश्वत देनी पड़ती है, जो रिश्वत नहीं दे सकते , उन्हें योजना का लाभ मिल ही नहीं सकता। इसी तरह जो इंदिरा गांधी आवास योजना के तहत आवास बनाये जाते हैं , उसमे भी लोगों के साथ खूब लूट -खसोट की जाती है। उन्हीं लोगों का नाम आवास के हकदार के लिए नामांकित किया जाता है, जो रिश्वत की रकम पहले चुकाने की क्षमता रखता है। शुरुआत होती है ग्राम प्रधान से , इस्क्जे बाद सेक्रेटरी , खंड विकास अधिकारी , जिला विकास अधिकारी और न जाने कहाँ-कहाँ तक रिश्वत की रकम का बंटवारा होता है।दिक्कत ये है की इन सभी योजनाओं में जो पैसा लगाया जाता है , वह इस देश के लोगों की जेब से जाता है जो सरकार इनकम टेक्स, सेल्स टेक्स, और भी ना जाने कितने तरह के टेक्स के बहाने वसूलती है । फिर सत्ता में बैठे लोग वोटों को ध्यान में रखते हुए योजनाएँ तैयार करते हैं। मजे की बात तो ये है की सबसे पहले रिश्वत का पैसा सत्ता में बैठे नेताओं के पास ही जाता है। आम आदमी के पास बाद में । हर बड़े सरकारी ठेके की यही कहानी है।, इसे कौन नहीं जानता । सब जानते हैं। कांग्रेस के युवराज भी अच्छी तरह से जानते हैं और संसद में इसे स्वीकार भी करते हैं साथ में ये भी जोड़ते हैं की अकेले लोकपाल से भ्रष्टाचार रुक नहीं पायेगा। जब राहुल जी इतना सब जान ही गए हैं तो आज तक " पिकनिक" क्यों मनाते फिर रहे हैं ? अभी तक कोई प्रभावी क़ानून बनाया क्यों नहीं ? इन्तजार किसका किया जा रहा है ?देश की जनता ने अन्ना हजारे में अपना प्रतिबिम्ब देखा तो उनका साथ दिया। अन्ना के लिए लोग जान न्यौछावर करने लगे। तब जाकर कांग्रेस की कुम्भकर्णी नींद टूटी । अन्ना हजारे की मान स्वीकार की, लेकिन अब काफी देर हो चुकी है। देश भर के लोगों के मन में काग्रेस के प्रति आक्रोश और नफरत है। लोकपाल समिति से मनीष तिवारी को हटाकर कांग्रेस ने अपना ही भला किया है। अमर सिंह और लालू जैसे भ्रष्ट लोगों की छुट्टी भी करनी होगी वरना ये सन्देश जाएगा की कांग्रेस जन लोकपाल बिल को पारित करने के लिए गंभीर नहीं है। आज कांग्रेस की हालत ऐसी हो गयी है जैसे कोई सब कुछ लुटाकर होश में आता है, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी है। महान वैज्ञानिक न्यूटन के सिद्धांत के मुताबिक़ हम किसी वस्तु को जितनी शक्ति के साथ धकेलते है वह वस्तु भी हमें उतनी ही शक्ति के साथ विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया करती है । अर्थात भ्रष्टाचार इस हद तक बढ़ चुका है है की अब उसके विपरीत भी उसी ताकत के साथ प्रतिक्रया हो रही है. आम जनता के इस आक्रोश को अगर अब भी नजरअंदाज किया गया तो ....
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