Thursday, July 15, 2010

किस-किस से माफी मांगोगे मुलायम जी ?
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने मुसलामानों से माफी माँगी है, अपना अपराध स्वीकारते हुए उन्होंने कल्याण सिंह के साथ अपनी दोस्ती को गलत माना है । उनका कहना है की अगर उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान कल्याण सिंह से दोस्ती नहीं की होती तो आज उनकी पार्टी का ये हश्र नहीं होता। मुलायम सिंह ने अपने पत्र में कहा कि बीते लोकसभा चुनाव में साम्प्रदायिक शक्तियों को सत्तारूढ़ होने से रोकने के लिए कुछ गलत लोगों को साथ रखने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे सभी धर्म निरपेक्ष शक्तियों खासकर मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंची। सिंह ने कहा कि मैं इसे अपनी गलती स्वीकार करता हूं और आश्वस्त करता हूं कि अयोध्या मामले से जुड़े आरोपियों व साम्प्रदायिकता भड़काने वाले लोगों से कभी गठजोड़ नहीं करूंगा।मुलायम ने लिखा कि लोकसभा चुनाव में ऐसे लोगों (कल्याण सिंह) को साथ लेने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगता हूं। , उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और अयोध्या के छह दिसम्बर 1992 की घटना के आरोपी कल्याण सिंह ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के मुसलमानों से माफी मांगने को हताशा भरा कदम बताते हुए कहा है कि अगर माफी ही मांगनी है तो उन्हें पिछड़ों से मांगनी चाहिए।सिंह ने कहा कि मुलायम सिंह से हाथ मिलाते समय उनके समर्थकों ने उन्हें आगाह किया था कि मुलायम धोखेबाज हैं। फरेब उनकी फितरत है लेकिन अपने सरल स्वभाव के कारण पिछडों की लड़ाई लड़ने के लिए उन्हें समर्थन दे दिया। लोकसभा के पिछले चुनाव में कल्याण सिंह की वजह से ज्यादातर मुसलमानों ने मुलायम सिंह और उनकी समाजवादी पार्टी से कन्नी काट ली थी। इसके कारण उनकी पार्टी अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सकी थी। यहां तक कि उनकी बहू डिंबल यादव फिरोजाबाद लोकसभा सीट से उपचुनाव हार गई थी। डुमरियागंज विधानसभा सीट के लिए हाल ही में हुए उपचुनाव में उनकी पार्टी चौथे नंबर पर पहुंच गई थी।
इन सब बातों का ख़याल अब जाकर मुलायम सिंह यादव को आया है । इससे पहले जब उन्होंने सपा के संस्थापक सदस्य मोहम्मद आजम खान को पार्टी से बेआबरू होकर निकाला तब उन्हें ध्यान क्यों नहीं आया था ? आजम खान चिल्ला-चिलाकर कल्याण सिंह को बाबरी मस्जिद के ढहने का गुनाहगार बता रहे थे , उन्हें मुस्लिमों का हत्यारा बता रहे थे , उस वक्त मुलायम सिंह यादव कल्याण सिंह के गले में बाहें डालकर घूम रहे थे । दावे के साथ कह रहे थे की उनकी दोस्ती हमेशा अमर रहेगी। अमर सिंह जैसे बडबोले इंसान के चक्कर में आकर जब मुलायम सिंह यादव मायावती द्वारा बनाये गए डॉक्टर आंबेडकर स्मारकों , पार्कों को अय्याशी का अड्डा बता रहे थे , अपनी सरकार आने पर दलितों , पिछड़ों के महापुरुषों की मूर्तोयों को तोड़ने की बात कर रहे थे , उस समय आपकी बुद्धि कहाँ गयी थी ? और इसके लिए दलितों से आप कब माफी मांगेंगे ?वक्त बड़ा बलवान होता है । अब पछताए क्या हॉट है , जब चिड़िया चुग गयी खेत ? मुसलमान भाई इतने नादाँ नहीं है की जब चाहे घडियाली आंसू बहाकर कोई भी नेता उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर लेगा। अब मुलायम सिंह यादव को अपनी नीयत और नीतियों में सच्चाई और पारदर्शिता लानी होगी , तब कुछ बदलाव हो पायेगा ? और हाँ, यह सारी कवायद कहीं आजम खान को मनाने के लिए तो नहीं है ?


1 comment:

हरकीरत ' हीर' said...

आपकी टिपण्णी अपने ब्लॉग पे आज देख पाई तो चली आई देखने ......

तस्वीर काफी बड़ी लगा राखी है .....!!