Sunday, July 25, 2010

इशक की आग में झुलसता हिन्दुस्तान

इशक की आग में समूचा हिन्दुस्ता झुलस रहा है।पंजाब के कपूरथला और दिल्ली सटे उत्तर परेद्श के जिला बुलंदशहर में एक दिन में इशक के चक्कर में तीन घटनाएं घटी हैं। कोई दिन ऐसा नहीं है जब देश के किसी न किसी हिस्से में दो चार लोग रोजाना इश्क की चक्की में नहीं पिसते हों। कपूरथला के कठुआ में एक पिता ने बेटी को करंट लगा मार डाला। मृतिका का नाम गुरजीत कौर है। पिता ने बेटी के प्रेमी को भी मारने की कोशिश की लेकिन वो बच गया और उसकी सूचना पर पुलिस ने हत्यारे पिता को गिरफ्तार कर लिया।
यूपी के बुलंदशहर में एक युवक की हत्या प्यार करने की वजह से कर दी गई। मृतक जिस लड़की से प्यार करता था वो रिश्ते में उसकी मौसी लगती थी।
यूपी के बुलंदशहर में ही एक ही गोत्र में प्यार करने की सजा दो प्यार करने वालो को मिली। समाज ने उनके प्यार को अस्वीकार कर दिया जसके बाद प्रेमी जोड़े ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली।
बुलंदशहर के तनु और गुड़्डू एक दूसरे बेहद प्यार करते थे। दोनों एक ही गोत्र के थे। दोनों ने शुक्रवार को खुदकुशी कर ली। गांव के लोगों के मुताबिक दोनों एक ही कुनबे के थे। जाति और गोत्र भी एक ही था। इसलिए समाज की नजर में वो रिश्ते से भाई बहन थे। कुछ महीने पहले जब घर वालो को दोनों के प्यार का पता चला तो पहरा बिठा दिया गया। घरवाले तो पहले से खिलाफ थे पंचायत भला इस रिश्ते को कैसे मंजूर करती। हारकर दोनों ने मौत को गले लगा लिया ।इस तरह की ज्यादातर घटनाएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश या हरियाणा के कुछ जिलों में ज्यादा घाट रही हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर , बुलंद शहर , गाजियाबाद , नॉएडा , अलीगढ़ , आगरा आदि में ओनर किलिंग या इशक में निराश होकर आत्महत्या करने के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। हरियाणा के झज्जर , रोहतक , फरीदाबाद आदि इलाकों में ऐसी घटनाएं ज्यादा बढ़ रही हैं। सरकार न तो प्यार करने वालों को सुरक्षा उपलब्ध करवा पा रही है और नाही समाज इस तरह के मामलों को स्वीकारने के लिए तैयार है । प्यार के लिए मर मिटने का लड़के -लड़कियों का जूनून कैसे परवान चढ़ा , इसके लिए क्या जिम्मेदार है ? फ़िलहाल यह सवाल करने का वक्त नहीं है। यह समय है इस बीमारी को दूर करने का। मगर इसके लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा । प्यार करने वालों और प्यार की बली वेदी पर चढ़ने वालों की संख्या में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी होती जा रही है। गाँव और शहरी परिवेश में जमीन आसमान का अंतर होता है। गाँव में अगर किसी की बेटी किसी लड़के के साथ प्यार करती है और उससे शादी कर लेती है तो आसपास के लोग बेटी वाले के परिवार का जीना हराम कर देते हैं। हर पल उसे ताने दिए जाते हैं, उसे नजरों से गिरा दिया जाता है। उन्हीं तानों और बेईज्जती से बचने के लिए बेटी वाले या तो अपनी बेटी को ही मार डालते हैं या फिर बेटी के आशिक को मौत के घात उतार देते हैं। इसका परिणाम ये होता है की लड़का और लडकी वाले दोनों परिवार बर्बाद हो जाते हैं। जबकि अगर समझदारी से काम लिया जाए, या तो उन्हें समझा बुझा दिया जाए या फिर उनकी शादी करवा दी जाए तो सब कुछ ठीक हो सकता है । मगर इसके लिए सरकारी पहल की भी जरूरत है । ऐसे मामले निबटाने के लिए भी एक विशेष आयोग की जरूरत है, जो ऐसा मामला सामने आने पर लड़का और लडकी वालों के बीच पुल का काम कर सके।

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