Monday, July 12, 2010

मनसे विधयाकों की बहाली , ये तो होना ही था
मनसे के चार निलंबित विधायकों शिशिर शिंदे, राम कदम, रमेश वान्ज्ले और वसंत गीते का निलंबन रद्द कर दिया है. इन सभी चार विधायकों को उस समय
निलंबित कर दिया था जब समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी द्वारा हिन्दी में शपथ लिए जाने पर इन चारों ने उनके साथ मारपीट और गाली -
गलौच की थी. कल महाराष्ट्र विधान सभा अध्यक्ष बाबा साहेब कुपेकर ने मनसे के चारों विधायकों का निलम्बन रद्द करने के घोषणा की . यह कोई अप्रत्याशित
बात नहीं थी, हाँ यह फैसला जरूर अप्रत्याशित था . जब यहाँ पर विधान परिषद के चुनाव हुए तो कांग्रेस के उम्मीदवार संजय दत्त , दीप्ति चौधरी और हुसैन दलवाई
को जिताने के लिए मनसे के ९ विधायकों के वोट आवश्यक थे , इसलिए उनके लिए मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे से सौदेबाजी की गयी . गुप्त समझौता हुआ कि मनसे के ९
विधायक कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करेंगे और इसके बदले में राज ठाकरे की पार्टी के ४ विधायकों का निलंबन रद्द कर दिया जाएगा. यह कोरी कल्पना नहीं
है बल्कि पहले ही राज ठाकरे ने इस रहस्य को उजागर कर दिया था . जब शिवसेना ने मनसे पर धंसे होने का आरोप लगाया और कहा कि मनसे के विधायकों ने नोट
लेकर वोट दिए हैं तब राज ठाकरे ने प्रेस कोंफ्रेंस लेकर बाकायदा यह एलान कर दिया कि अपने विधायकों का निलंबन वापस लेने के लिए ही उन्होंने को कांग्रेस को वोट दिलवाए
. अब जबकि चारों विधायक बहाल हो चुके हैं तो यह सिद्ध हो जाता है कि राज ठाकरे की बात बिलकुल सही थी . जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और यहाँ तक की मुख्यमंत्री
अशोक चव्हाण ने राज ठाकरे की इस बात को गलत बताया था. अब इस राज से पर्दा उठ गया कि उनकी भी बात झूठी थी. लोग सवाल करते हैं कि अगर मनसे के चार विधायकों
का अपराध ऐसा नहीं था कि उन्हें निलंबित नहीं किया जाए , तो निलंबित क्यों किया गया ? और अगर वे अपराधी थे और सख्त सजा के हकदार थे और उन्हें निलंबित कर भी दिया
तो फिर बहाल किस आधार पर किया गया ? क्या इसीलिये कि मनसे का मनचाहा उपयोग किया जा सके, उसे मजबूर करके उससे अपने हक में वोटिंग कराई जा सके ? हालात पर
विचार किया जाए तो कांग्रेस की नीयत कुछ ऐसी ही लगती है . इस तरह की राजनीतिक सौदेबाजी ने लोकतंत्र को सरेआम बदनाम कर दिया है . निलंबन रद्द करने के लिए मनसे के
वोट हासिल करना गैर कानूनी कार्य है , इसमें जितने भी लोग शामिल हैं , उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए . चुनाव आयोग को दखल देकर राज ठाकरे की प्रेस कोंफ्रेंस की वो सीडी
हासिल करनी चाहिए , जिसमे उन्होंने कांग्रेस के साथ सौदेबाजी की बात बड़ी शान से कही थी. उससे अगले दिन के अखबारों की कटिंग हासिल कर इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच होनी
चाहिए , अगर लोकतंत्र की मर्यादा, प्रतिष्ठा को कायम रखना है, तो इसके लिए ऐसी राजनीतिक दलाली को बंद करना होगा . इस मामले से अब कांग्रेस का असली चेहरा भी उजागर हो गया
है . जब मनसे के कार्यकर्ता परप्रांतीयों विशेषकर ,उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को प्रताडित कर रहे थे , वहाँ के परीक्षार्थियों की पिटाई कर रहे थे उस समय यह आरोप लगे थे कि कांग्रेस
ही मनसे को अंदर से सपोर्ट कर रही है . विपक्षी पार्टी के लोग कहते थे कि कांग्रेस ने ही मनसे को खडा होने में मदद की, उसीने राज ठाकरे को हीरो बनाया , ताकि वह मनसे को समय पड़ने पर इस्तेमाल
कर सके , और उसने ऐसा किया भी . शिवसेना से अलग होकर मनसे ने चुनाव लड़ा . नतीजा शिवसेना न तो प्रदेश में सरकार बना पाई और न ही लोकसभा चुनाव में कुछ खास कर पाई .
मनसे के कारण वह दर्जनों सीट पर चुनाव हार गयी और कांग्रेस जीत गयी. विधान परिषद चुनाव में भी कांग्रेस ने मनसे से सौदेबाजी कर उसके वोट झटक लिए. यह सब ठीक उसी तरह से हो रहा है जैसे
कांग्रेस ने कम्युनिस्ट पार्टी को कमजोर करने के लिए शिवसेना को छिपा समर्थन दिया था . फिर एक दिन वो भी आया जब शिवसेना कांग्रेस को हराकर प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब हो गयी .
अब कांग्रेस ने मनसे को इसी तरह छिपकर समर्थन दे रखा है . अब सारे पत्ते खुल चुके हैं. इसका खामियाजा निश्चित तौर पर कांग्रेस को उत्तर प्रदेश और बिहार के चुनावों में भुगतना पडेगा.
जिन गरीब, बेकसूर उत्तर भारतीयों को पीटा गया, उन्हें परिक्षा देने से रोका गया , ऐसे लोग कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेंगे.

1 comment:

Anonymous said...

सटिक विश्लेषण, आभार

विचार मंच के पाठको के लिये एक संदेश

आपको जानकर अत्यन्त खुशी होगी कि आपके अपने तकनीकी ब्लाँग ईटिप्स अगले माह कि 30 तारीख को को ब्लाँग जगत मे एक साल का हो जायेगा । इसी अवसर पर हमने आप सब ब्लाँगर साथियो से विचार आमंत्रित कर रहे है । आपको ईटिप्स ब्लाँग कैसा लगता है ? क्या बदलाव होने चाहिये । कुछ शिकवा और सिकायत हो तो अवश्य लिखे ।

आपकी अपनी
ईटिप्स ब्लाग टीम
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