Thursday, July 22, 2010

दलित दुलारे , राहुल प्यारे , गए कहाँ रे ...

दलित दुलारे , राहुल प्यारे , गए कहाँ रे ...
पिछले कुछ दिनों से देश के कई राज्यों में कई अनहोनी घटनाएं घटी हैं . सबसे बड़ी दुर्घटना तो केन्द्र में बैठी अंधी , बहरी, लंगडी, लूली और पूरी तरह अपाहिज और अक्षम सरकार द्वारा बार-बार डीजल , पेट्रोल , तेल के दाम बढ़ाना है . मंहगाई से जूझ रहे आम इंसानों को और भी मंगाई की आग में झोंकना है, इसके बाद नक्सलियों द्वारा बेगुनाह सुरक्षाकर्मियों को मौत के घाट उतारना है. रेल दुर्घटना है . जलता हुआ कश्मीर है . राक्षसी बेरोजगारी और भ्रष्टाचार है . ये सब पहले भी थे मगर कुछ महीने से इनमे बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है , इनसे पीड़ित होकर पूरा देश रो रहा है , चिला रहा है मगर एक व्यक्ति ऐसा है जों खामोश है . उसका नाम है राहुल गांधी . अपने आपको दलित हितैषी होने का ढिंढोरा पीटने वाले राहुल गांधी न जाने कहाँ गायब हो गए हैं, वे तब भी प्रकट नहीं हो पाए , जब हरदोई से उनकी ब्रिगेड का एक नेता अचानक गायब हो गया और जख्मी हालत में लखनऊ में मिला. वह तो खैर मिल गया मगर राहुल गांधी अभ तक अज्ञातवास में हैं. लोग गाते फिर रहे हैं -दलित दुलारे , राहुल प्यारे , गए कहाँ रे ...चुनाव के समय वे उत्तर प्रदेश के किसी दलित की झोंपडी में रात बिताते किसी टी.वी. में जरूर दिख जायेंगे. अगले दिन के अखबारों में वे किसी दलित बच्चे को गोद में उठाये हुए नजर आयेंगे. मगर जब दलितों की हालत बाद से बदतर की जाती है और करने वाले उनके पाने होते हैं, तब उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रया नहीं आती. न वे प्रेस कोंफ्रेंस करते नजर आते हैं, और न अखबारों में प्रेस विज्ञप्ती ही भेजती हैं. केन्द्र की सरकार कांग्रेस की अगुवाई वाले यू पी ऐ की सरकार है , जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं. कांग्रेस की अध्यक्ष भी सोनिया गांधी हैं.अक्सर विपक्ष के लोग आरोप लगाते रहे हैं कि प्रधानमंत्री भी रबर स्टेम्प से कम नहीं हैं. यानि कि कुल मिलाकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही इस देश के रहनुमा हैं. वही शासन चला रहे हैं. वही मंहगाई बढ़ा रहे हैं. शोषितों, पीडितो, दलितों, मुफ्लिशों, बेरोजगारों, किसानों, मजदूरों और आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों का अगर जीना हराम है , तो उसके पीछे इन्हीं मान बेटों का हाथ है . अगर यही लोग इस सबके लिए जिम्मेदार हैं तो गरीबों का मसीहा बनने का नाटक किसलिए , दलितों का सच्चा हितैषी बनने का ढोंग किसलिए ?आम आदमी के साथ होने का ढिंढोरा क्यों ? और नाटक इन्हें करना है तो करें, इनका साथ किसलिए ?देश में दो वर्गों के बीच बहुत बड़ी खाई पैदा कर दी गयी है. गरीब और मेरे के बीच की खाई . सिर्फ कुछ हजार लोगों का देश के सभी संसाधनों पर कब्जा है. देश की समस्त संपत्ति पर कब्जा है और कई करोड लोग दो जून की रोटी खाने तक के लिए मोहताज हैं. शुद्ध पेयजल की छोडिये , उन्हें नाले का गंदा पानी भी नसीब है. अच्छे और नए कपडे की बात अलग है , फटे और पुराने कपडे भी मयस्सर नहीं हैं . इतना बड़ा फर्क किसके शासन में हुआ ? देश पर सबसे ज्यादा राज किसने किया ? जों देश के लिए अन्न उगाते हैं, यानि देश का अन्नदाता अगर आज तक फटेहाल है, सुख सुविधाओं से मोहताज है तो इसका जिम्मेदार कौन है ? अगर मा-बेटे की यह जोड़ी अब भी नींद में सोई है तो देश के नौजवानों के फर्ज बंटा है कि वे जाग जाएँ और अपने हक के लिए शांतिपूर्वक और संवैधानिक तरीके से संघर्ष करें .











1 comment:

माधव( Madhav) said...

राहुल पर भरोसा नहीं किया जा सकता . जब देश की हालत खराब हो जायेंगी ये माँ बेटा भाग लेंगे. ये सुख के साथी है , दुःख के नहीं .
आप का चिंतन जायज है , चिंतन तो देश की पुरी जनता को भी करना चाहिए , की दुबारा इनको चुन कर लाइ , अभी तो पुरे चार साल झेलने है इन्हें .