अब इंसान सब्जियां नहीं खाता , सब्जियां इंसान को खा रही हैं
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अब इंसान सब्जियां नहीं खाता , सब्जियां इंसान को खा रही हैं.
और केन्द्र सरकार है कि चैन के बंशी बजा रही है ,विपक्ष भी मंहगाई को लेकर उतना गंभीर नहीं है, जितना कि होना चाहिए . सभी विपक्षी पार्टियों ने एक दिन का बंद रखा और फिर भूल गईं, कुछ राज्य स्तर की पार्तितों ने भी एकाध दिन हो हल्ला करके मामले को शांत कर दिया. मगर इससे फायदा क्या हुआ. क्या सरकार पर किसी तरह का वजन पड़ा, क्या सरकार ने किसी भी चीज के थोड़े भी दाम घटाए ? नहीं, ऐसा कुछ नहीं हुआ. उलटा अगले ही दिन केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने यह कहकर धमाका कर दिया कि चीनी को भी सरकारी नियंत्रण से बाहर लाया जाएगा. यानि कि सरकार चीनी पर जों सब्सिडी दिया करती थी, उसे बंद किया जाएगा . इससे चाय पीना भी दुर्लभ हो जाएगा . चीनी की कीमते आस्मां छूने लगेंगी .दुसरा धमाका पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवरा ने यह बयान देकर किया है कि ज्यादा पैसे देकर रसोई गैस के उपभोक्ता कभी भी सिलेंडर मगा सकते हैं. इससे गैस एजेंसी के मालिकों को सरेआम भरष्टाचार करने की पूरी छूट मिल जायेगी . एक तो पहले से ही गैस एजेंसी वाले उपभोक्ताओं को खून के आंसू रुलाते थे, ब्लेक में सिलेंडर देते थे, कम गैस देते थे. मनमाने ढंग से डिलीवरी करते थे . अब मुरली देवरा की शह पर वे और भी ज्यादा निरंकुश हो जायेंगे . अब वे मनमाने तरीके से डिलीवरी देंगे और जब उनकी इच्छा होगी , तब देंगी . जानबूझकर लेट करेंगे और मुहमांगी रकम वसूलेंगे . अतिरिक्त रकम के प्रावधान की बात कहकर मुरली देवरा ने गैस एजेंसी के मालिकों को भ्रष्टाचार करने का खुला लाइसेंस दे दिया है . मंहगाई कम करने के बजाय मंहगाई बढाने के इंतजाम किये जा रहे हैं . हालत ये है कि
महंगाई से पूरा देश त्राही त्राही कर रहा है। सारी कमाई को महंगाई सुरसा के मुंह की तरह निगल रही है। पिछले हफ्ते खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर में मामूली सी कमी दिखाई गई, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। महंगाई के वजन से मध्य वर्ग की कमर टूट गई है और गरीबों ने खाने में सब्जी का नाम लेना ही बंद कर दिया है।
हालांकि आंकड़ों के लिहाज से खाने पीने की चीजों की मंहगाई दर 12.63 फीसदी हो गई है। इससे पहले ये 12.93 फीसदी थी। लेकिन आंकड़ों की बाजीगरी की हकीकत कुछऔर ही है।
अहमदाबाद में35 रुपए किलो मिलने वाली भिंडी 45 रुपए किलो हो गई है। फूल गोभी 45 रुपए से 60 रुपए किलो हो गई है। करेला 35 रुपए से 40 रुपए किलो होकर स्वाद और कसैला कर रहा है।
लखनऊ में आलू 7 से 8 रुपए किलो मिलता था वो अब 10 से 13 रुपए किलो मिल रहा है। शिमला मिर्च 32 से 36 रुपए किलो मिलती थी वो अब 40 से 48 रुपए किलो मिल रही है। प्याज 8 से 10 रुपए किलो मिलता था अब वो 16 से 20 रुपए किलो होकर लोगों के आंसू निकाल रहा है।लगता है अब इंसान सब्जियां नहीं खाता बल्कि सब्जियां इंसान को खाने लगी हैं.
जाहिर है पूरे देश में खाने-पीने की चीजों के दामों में आग लगी हुई है। और सरकार के तमाम दावे खोखले साबित हुए हैं।इन आंकड़ों ने केन्द्र सरकार के झूठे दावों की पोल खोल डी है , और अब उस क़ानून की मांग जोर पकड़ने लगी है जों सरकार बनने वालों को कभी भी सरकार गिराने का अधिकार देता हो .
1 comment:
सहमत
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