उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने अमेठी और सुल्तानपुर के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर छत्रपति शाहूजी महाराज नगर बनाने की घोषणा की है , इससे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के पेट में दर्द होना शुरू हो गया है. कांग्रेस वहाँ पर राजीव गांधी नगर बनाने की मांग कर रही है. कांग्रेस का तर्क है कि अमेठी को राजीव गांधी परिवार के नाम से जाना जाता है इसलिए उसका नाम राजीव गांधी के नाम पर होना चाहिए . अन्य विपक्षी पार्टियां भी मायावती की आलोचना करती नहीं थक रही हैं. सपा के शिवपाल यादव ने तो यहाँ तक कह दिया कि 'उत्तर प्रदेश की बीएसपी सरकार बेवजह जिलों के नाम बदलकर एक वर्ग विशेष के महापुरुषों के नाम पर रख रही है। एसपी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने कहा कि मायावती सरकार का अमेठी का नाम बदलकर छत्रपति शाहूजी महाराज और कानपुर देहात का रमाबाई नगर रखना संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है। कानपुर की पहचान इंटरनैशनल लेवल पर है और अमेठी की भी इसी नाम से पहचान है। इन दोनों के नाम बदले जाने का फैसला अनुचित है।
उन्होंने कहा कि इस सरकार का जनता की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। यह सरकार केवल पत्थर लगाने, वर्ग विशेष के महापुरुषों के नाम पर जिलों के नाम रखने, पार्क बनाने और मूतिर्यां लगवाने का ही काम कर रही है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने आरोप लगाया कि विकास के नाम पर कोई पैसा खर्च नहीं हो रहा है, बल्कि जमकर पैसा बर्बाद किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नोएडा में चौतरफा नीली पन्नियों से बुत ढके हुए खड़े है, जो रात में प्रेत से नजर आते हैं। यादव ने कहा कि हो सकता है कि यह सरकार जाते-जाते कई जिलों के नाम मायावती के नाम पर भी रख दे। ' मायावती का विरोध करने वालों से मैं ये कहना चाहता हूँ कि -
१, मायावती ने जिस महापुरुष यानि छत्रपति शाहूजी महाराज के नाम पर इस नए जिले का नाम दिया है वे महाराष्ट्र के मराठा शासक और छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज थे , अर्थात राजपूत थे. इसलिए यह आरोप गलत है कि मायावती दलित महापुरुषों के नाम पर ही नामकरण कर रही हैं. छत्रपति शाहूजी महाराज महान समाज सुधारक थे और उन्होंने अपनी रियासत में कमजोर वर्ग के लोगों को भी सामान अवसर दिए, सभी जाती और धर्म के लोगों को उन्होंने बड़े ओहदों पर काम करने का अवसर दिया. समता और समानता लाने के लिए , उंच -नीच खत्म करने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किये . यहाँ तक कि डॉक्टर बाबा साहेब आम्बेडकर की भी उन्होंने आर्थिक सहायता की. उन्हें आरक्षण का जनक भी माना जाता है. ऐसे महा मानव का विरोध करना कांग्रेस के असली चेहरे को उजागर करता है.
२, मायावती ने अमेठी का नाम नहीं बदला है बल्कि राज्य में ७२ वे नए जिले का गठन किया है . सुल्तानपुर का कुछ क्षेत्र और अमेठी को मिलाकर इस नए जिले का गठन किया है. इससे अब नए जिले का और भी बेहतर विकास हो सकता है , राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी का नाम ज्यों की त्यों है , उसे नहीं बदला गया , फिर भी ये हाय तौबा क्यों ?
३, कांग्रेस के लोग बहुजन समाज पार्टी की सरकार से ये उम्मीद क्यों करती है कि वह कांग्रेस के नेताओं के नाम पर नए जिले का नामकरण करे ? क्या कांग्रेस ने कभी पंडित दीनदयाल उपाध्याय, श्यामाप्रसाद मुखर्जी , जयप्रकाश नारायण , राम मनोहर लोहिया आदि के नाम पर कभी किसी जिले का नाम दिया है ?आखिर क्यों नहीं ? ये तो बहुजन समाज पार्टी के नेता नहीं थे, दलित महापुरुष नहीं थे . देश में लाखों गांधी नगर , इंदिरा नगर , राजीव नगर , स्मारक, प्रतिष्ठान आदि बानाने वाली कांग्रेस अपने गिरेबान में झांककर क्यों नहीं देखती ?
४, कांग्रेस के विरोध से साफ़ झलकता है कि वह सिर्फ एक परिवार की भलाई की बात करती है जबकि बहुजन समाज पार्टी सर्वजन हिताय , सर्वजन सुखाय की राह पर चलकर सभी जाति , धर्मों और प्रान्तों की भलाई करती है और सबका समान सम्मान करती है. समाजवादी पार्टी के शिवपाल को क्या कहें , अगर उनमे ज़रा भी सभ्यता होती तो एक कांस्टेबल उनके कान के नीचे खर्चा पानी क्यों देता ?
2 comments:
अब तो सब दलों व जातियों के महापुरुष अलग-अलग है | वोट बैंक की राजनीती ने महापुरुषों को भी खेमों में बाँट दिया जो बहुत दुखद है |
"...समाजवादी पार्टी के शिवपाल को क्या कहें , अगर उनमे ज़रा भी सभ्यता होती तो एक कांस्टेबल उनके कान के नीचे खर्चा पानी क्यों देता?..."
वाह, सुनकर मजा आ गया… इस खर्चे-पानी की कोई तस्वीर या कटिंग मिल सकेगी? ताकि देखकर भी मजे ले सकें… :) :)
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