टिकट लेकर सफर करने वाले बेकसूरों का क्या दोष ?
फिर एक हादसा हो गया . ट्रेन हादसा . ८० से ज्यादा उन बेकसूरों की मौत हो गयी जों लोग टिकट लेकर सफर कर रहे थे. ममता बनर्जी के १५ महीने के कार्यकाल में यह ११ वां हादसा है. ममता बनर्जी हाकिया हादसे में साजिस की बू तलाश रही हैं तो भाजपा ने उनसे रेल मंत्रालय ही छीन लेने की मांग की है. भले ही यह हादसा मानवीय भूल हो या फिर इसमें किसी तरह की नक्सली साजिस हो ,मगर इसमें नुक्सान सिर्फ उन निर्दोषों का हुआ है जिनकी हिफाजत कंरने की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की थी लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी को संभाल नहीं पाई. इसका जिम्मेदार कौन है ? केन्द्र सरकार अगर नक्सली समस्या का समाधान नहीं कर रही है तो इसकी सजा किसको मिलनी चाहिए ? निर्दोष नागरिकों को तो हरगिज नहीं . मगर हो यही रहा है . सब बेगुनाह ही मारे जा रहे हैं. कभी नक्सली घात लगाकर सी आर पी एफ के जवानों को मौत के घाट उतार देते हैं तो कभी किसी नागरिक को . पिछले कुछ समय से ये नक्सली ट्रेन को अपने निशाने पर ले रहे हैं. इसमें भी आम जनता की बलि चढ रही है. सेब चाकू पर गिरे या चाकू सेब पर , इससे नुक्सान तो हमेशा सेब का ही होता है. यही हाल जनता के साथ हो रहा है . हर हाल में शोषण उसकी हो रहा हो. नक्सली सोचते होंगे कि जब वे आम जनता को निशाना बनाएंगे तो केन्द्र सरकार पर दवाब बढ़ेगा , सरकार उनकी मांग मानेगी , मगर सच्चाई इससे दूर है .जितने चाहे जवान /अधिकारी शहीद हों . कितनी ही जनता का खून बहे . केन्द्र की बाहरी सरकार के कान पर जूं रेंगने वाली नहीं है .इसलिए नक्सलियों को अपनी रणनीति बदलनी चाहिए . केन्द्र सरकार को भी नक्सलियों से सख्ती से निपटना चाहिए . और अगर केन्द्र सरकार ऐसा नहीं कर पाति तो उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है .
वैसे भी यह सरकार हर मोर्चे पर फेल है. केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार मंहगाई बढाते जा आरहे हैं. केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवरा डीजल, पेट्रोल और घरेलू गैस के दाम बढ़ाकर मंगाई बढाने में अपना योगदान दे रहे हैं. मंनरेगा में अरबों का भ्रष्टाचार है . देश का पैसा मनरेगा जैसी भ्रष्ट योजना में लगाकर कुछ लोगों को तो खुश किया जा रहा है, मगर यह पैसा जिनकी मेहनत और गाढ़ी कमाई की बदौलत विभिन्न टैक्स के माध्यम से आता है , उनका जीना हराम किया जा रहा है . विदेश मंत्री कृष्णा जी अभी हाल ही में पाकिस्तान गए तो उनकी वार्ता भी बुरी तरह फेल हो गयी . दूरसंचार मंत्री पर ३ जी व अन्य सेवाओं की नीलामी में रिश्वत लेने की आरोप लगे. देश की सड़कों का बुरा हाल है . महानगरों को अगर छोड़ दिया जाए तो देश भर में बिजली के लिए त्राहि मम मची हुयी है . कुल मिलाकर हर क्षेत्र में कांग्रेस फेल है . कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां, जों कि सरकार में हैं , वे सब बुरी तरह से फेल हैं. लगता है सरकार ऐसे ही रामभरोसे चल रही है .
ऐसी कमजोर सरकार देश का भला नहीं कर सकती, देशवासियों की सुरक्षा भी नहीं कर सकती . इस सरकार का तो बस एक ही इलाज किया जा सकता है . आने वालों चुनावों में इस सरकार में शामिल सभी पार्टियों को विसर्जित कर डालिए . जब तक यह सरकार है तब तक हम ऐसे हादसों और मंहगाई जैसी महामारी को झेलने के लिए अभिशप्त रहेंगे.
1 comment:
इन्हें विसर्जित कर भी देंगे तो लायेंगे किसे??
Post a Comment