तालिबानी पंचायत में फैसला सुनाया गया कि मनोज के परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया जाए और पंचायत के फैसले के खिलाफ जाने वालों से 25 हजार रुपए जुर्माना वसूला जाए। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। इसके बाद बुना गया एक साजिश का ताना-बाना। 15 जून को मनोज और बबली का सरेआम अपहरण कर लिया गया और मोहब्बत के दुश्मनों ने दोनों की हत्या करके लाश एक नहर में फेंक दी। पुलिस ने 24 जून को दोनों की लाश बरामद की। लेकिन उन्हें लावारिस बताकर अंतिम संस्कार कर दिया गया। एक जुलाई को मनोज के परिवारवालों ने उनके सामान से उनकी शिनाख्त की। मनोज के परिवारवाले चीख चीख कर कहते रहे कि इस हत्या के पीछे बबली के घरवालों का हाथ है हर छोटे बड़े अधिकारी से रहम की भीख मांगी। यहां तक की सूबे के मुख्यमंत्री तक भी शिकायत पहुंचाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार अब तीन साल बाद 41 गवाहों व 50 पेशियों के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया . अदालत ने बबली के भाई सतीश और सुरेश, चचेरे भाई गुरुदेव, मामा बारूराम और चाचा राजेंद्र को फांसी की सजा सुनाई है। लड़की के दादा और पंचायत के सदस्य गंगाराज को उम्रकैद की सजा दी गई है। जबकि हत्या की साजिश में शामिल चालक मंदीप को अदालत ने 7 साल की कैद की सजा दी है। इसके अलावा अदालत ने पीड़ित पक्ष को 1 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। हैरत और खौफनाक बात ये है कि इसके बाद भी ऐसी पंचायतों के हौंसले बुलंद हैं. हमारे जन प्रतिनिधि वोट के लालच में ऐसी पंचायत के लोगों का समर्थन करते हैं. कांग्रेस के सांसद नवीन जिंदल ने जो पत्र लिखा है उसके मुताबिक़ सांसद नवीन जिंदल ने पत्र में कहा कि वह निजी कार्यो में व्यस्तता के चलते पिछले सप्ताह आयोजित महापंचायत में शामिल नहीं हो सके। इसके लिए उन्होंने क्षमा याचना की।सांसद ने कहा कि उन्होंने तथा उनके परिवार ने हमेशा ही समाज की परंपराओं, मान्यताओं, सभ्यता व संस्कृति का आदर किया है तथा भविष्य में भी करते रहेंगे। पत्र के माध्यम से सांसद ने कहा कि खाप पंचायतों ने समाज को सदैव नई दिशा दी है. जिंदल की इस जिंदादिली से ये तो तय हो गया है कि अब तक पंचायतों ने जिन प्रेमी -प्रेमिकाओं को सजा सुनाई थी, उस सबमे नवीन जिंदल भी शामिल थे. जिंदल से कोई पूछे कि दो प्यार करनी वालों की ह्त्या करवाना कौन सी परम्परा , कौन सी सभ्यता , कौन सी संस्कृति है ? संसार का कोई भी क़ानून , कोई भी धर्म इस तरह निरपराध लोगों की ह्त्या की इजाजत नहीं देती. सच्ची मोहब्बत को भगवान का रूप माना गया है. अगर लड़का -लड़की बालिग़ हैं और अपनी इच्छा से शादी करना चाहते हैं तो कौन सा गुनाह है ? और अगर कोई गलत बात या गलत काम है तो उसके लिए देश में अदालतें मौजूद हैं. यह सिर्फ मोहब्बत का ही क़त्ल नहीं बल्कि संविधान का भी क़त्ल है. एक ही गोत्र का होने कारण बहन -भाई का रिश्ता बताने वाले मूर्ख कब जानेंगे कि दुनिया का हर इंसान आपस में भाई ही होता है, हर लड़का लड़की बहन भाई ही होते हैं. सर्वविदित है कि सबसे पहले दुनिया में आदम और हव्वा को भेजा गया. सारा जहां उन्हीकी संतान है. अब हिसाब लगाएं सब लोगो का आपस में क्या रिश्ता है ? यहाँ अनैतिक रिश्तों में शादी करनी की वकालत नहीं की जा रही , बल्कि नैतिकता की आड़ में मानवता को खत्म न किया जाए , इसकी सिफारिश की जा रही है.
- मुकेश कुमार मासूम
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