सब जानते हैं कि कांग्रेस पैसे को कितनी अहमियत देती है , जितनी सच बात ये है कि कांग्रेस पार्टी ने देश पर सबसे ज्यादा शासन किया, उससे ज्यादा ये भी सच है कि इसी पार्टी के नेताओं ने सबसे ज्यादा घोटाले किये , गरीबों का हक मारा और अपने-अपने घर बनाए. अगर कांग्रेस के किसी भी पुराने नेता का रिकार्ड खंगाला जाए तब सच्चाई सामने आएगी. उसके पास अथाह धन दौलत और बेनामी संपत्ति मिल जायेगी. ये कोरा आंकलन नहीं बल्कि सच्चाई है. देश को लूट -लूटकर अपना घर बनाने वाले गरीबों का शोषण करने वाली इस पार्टी की सरकार इस समय केन्द्र के साथ -साथ महाराष्ट्र में भी है, महाराष्ट्र में भी सरकार द्वारा आम आदमी का जबरदस्त शोषण जारी है. सर्वविदित है कि कांग्रेस पार्टी बड़े-बड़े व्यवसाइयों और धन्नासेठों के चंदे के पैसे से चुनाव लड़ती है. यही कारण है कि जब इनकी सत्ता आती है तो ये लोग गरीबों को भूलकर बड़े व्यवसाइयों के हित में नीतियां बनाने लगते हैं. अब व्यवसाई कोई भी हो, जब वह नागरिकों से ज्यादा मुनाफ़ा कमाएगा तभी तो उसे मुनाफ़ा होगा . यानि कि कांग्रेस का जहाँ शासन होगा वहाँ पर चंद लोग तो करोडों -अरबों में खेलेंगे और करोडों आम लोग टुकड़े -टुकड़े के लिए मोहताज रहेंगे .महाराष्ट्र में भी यही तो हो रहा है. यहाँ पर गरीब, मजदूर किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं, और रिलायंस , टाटा जैसे व्यवसाई अरबों-खरबों कमा रहे हैं. और तो और सरकार ने रिलायंस एनर्जी को जबरन दलाली का लाइसेंस दे रखा है और आम उपभोक्ता हर महीने अपने ही हाथों अपनी जेब काटने के लिए मजबूर हैं. मुंबई और आसपास के इलाकों में टाटा पावर बिजली की सप्लाई करती है . साथ ही रिलायंस को भी बिजली वितरण का अधिकार दिया गया है. इसमें महत्वपूर्ण बात ये है कि खुद रिलायंस भी टाटा से बिजली खरीदती है और तब जाकर वह उपभोक्ताओं को बेचती है. जाहिर ससे बात है कि यहाँ पर जो लोग रिलायंस से बिजली खरीद रहे हैं उन्हें मंहगे दाम चुकाने पड़ रहे हैं क्योंकि अगर हम डाइरेक्ट दूकान से माँ खरीदेंगे तो सस्ता मिलेगा और बीच के दलाल से खरीदेंगे तो मंहगा . क्योंकि दलाल भी अपना मुनाफ़ा वसूल करेगा . ठीक वैसा ही है जैसे रिलेट से सामान खरीदने पर मंहगा और होलसेल से खरीदने पर सस्ता मिलता है . यहाँ की सरकार ने रिलायंस एनर्जी को दलाली करने और लोगों की जेब काटने का लाइसेंस आखिर किसने दिया ? इस तरह का सवाल सब लोग कर रहे हैं. रिलायंस एनर्जी लोगों को मंहगी बिजली बेच रहा है . बेहद जद्दोजहद के बाद अब यह फैसला आया है कि जो लोग टाटा से बिजली लेना चाहें वे टाटा से ले सकते हैं और रिलायंस से लेने वाले रिलायंस से. मगर यह विकल्प भी लोगों को कई सालों बाद दिया गया है. अगर पहले से यह सुविधा होती तो रिलायंस एनर्जी की दादागीरी और दलाल्गीरी से लोगों का पीछा छोट जाता. यानि , अगर हिसाब देखा जाए तो अब तक रिलायंस ने लोगों से जो ज्यादा कीमत वसूली है, उसकी जिम्मेदार महाराष्ट्र की भ्रष्ट और निकम्मी सरकार है.जनता भी खूब भोली है, कांग्रेसी नेता उसे आईपीएल , उतार भारतीय विरोध आदि मुद्दों में आसानी से उलझा लेते हैं. अगर कांग्रेस सीधे -सीधे नहीं जीतती तो भी उसके पास इसका इलाज मौजूद है. उत्तर भारत बनाम मराठी का हौव्वा खड़ा कर राज ठाकरे को नेता बना देना और फिर अपनी चिर प्रतिद्वंदी पार्टी शिवसेना के खिलाफ राज ठाकरे को खडा कर अपनी विपक्षी पार्टी की शक्ति को बाँट देना और आसानी से जीत हासिल कर लेना . अर्थात भले ही जनता उसे जिताना नहीं चाहती मगर फूट डालो , राज करो की नीति से कांग्रेस जीत ही जाति है . सब जानते हैं कि मनसे ने शिवसेना के वोट काट दिए और मनसे कांग्रेस के कई उम्मेदवार इसी कारण जीत गए. अगर सब ऐसा हे चलता रहा तो यहाँ दलालों और चोरों को इसी तरह लाइसेंस मिलते रहेंगे , इसी तरह आम आदमी का शोषण होता रहेगा. अब जरूरत है एक नई क्रान्ति की,बस शुरुआत करने की जरूरत है. तो कब कर रहे हो शुरुआत ?
- मुकेश कुमार मासूम
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