Tuesday, May 18, 2010

ई मेल का खेल

समस्त भारत में आजकल ई मेल का एक ऐसा खेल चल रहा है , जिसने लोगों का जीना हराम कर दिया है . मकान -दुकान बेचने तक के लिए मजबूर कर दिया है. लोगों को कंगाल बनाने वाले ये ई मेल आखिर आते कहाँ से हैं, इन्हें भेजता कौन है और इनके झांसे में कौन आता है ? मैंने बहुत दिनों तक इसकी जांच पड़ताल की , तब जाकर एक यह बात भी निकलकर सामने आई कि मुंबई के लोगों को आर्थिक रूप से बर्बाद करने वाले ज्यादातर ठग नाइजीरियन होते हैं , ये लोग मुंबई और आसपास के इलाकों में बैठकर इस तरह के ई मेल भेजते हैं, और इनके शिकार पढ़े -लिखे लोग ही बनते हैं. इनके ई मेल में मजमून ऐसा होता है कि सामने वाला इनके जाल में फंसने से बच नहीं पाता . मुझे पिछले कई सालों से इस तरह के मेल आ रहे हैं . मेल भेजने वाले अल्लग -अलग स्टायल में उल्लू बनाते हैं. कभी आपको मेल भेजा जाता है कि आपकी लोटरी लग गयी गई. मेल पढ़ने वाले की खुशी का ठिकाना नहीं रहता . वह खुद को सौभाग्यशाली समझता है. यह भूलकर कि जिस दुनिया में एक -एक रुपये पर लोग अपना ईमान डिगाते हैं, उस दुनिया में ऐसे भले मानस कहाँ से आ गए जो बिना कोई लोटरी खरीदे ही आपको लाखों, करोडों रुपये देने की बात कर रहे हैं, आपने कोई लोटरी खरीदे ही नहीं , फिर भी यह जानकार खुश हैं कि आपकी किस्मत खुल चुकी है , आपको कई करोड का इनाम मिलने वाला है , लेकिन ? आगे का यह लेकिन ही खतरनाक होता है . मेल करने वाला बड़ी चालाकी से आपका पता , फोन नंबर , पेशा इत्यादि जानकारी हासिल कर लेता है. कभी -कभी तो लूटने वाले इतने पर ही बेडा पार कर देते हैं. जब मेल करने वाला बेंक का नाम , नंबर , क्रेडिट कार्ड नंबर सी वी सी नंबर पूछते हैं. अति उत्साही लोग तुरंत कालम भर देते हैं . कुछ ही मिनिट बाद उनको पता चलता है जितना बैलेंस उनके बेंक में था , सब खत्म हो गया.एक मिनिट में ही वे लोग सारा बैलेंस साफ़ कर देते हैं. अगर इसमें कोई बच भी गया तो ठगों के पास हथियारों की कमी नहीं , वे अपने शिकार से किसी न किसी बहाने रुपये हड़प ही लेते हैं. वे कहते हैं कि -' आप अपना करोड़ों का इनाम ले सकते हो मगर इतने रुपये भारत स्थित आपके बेंक में डालने के लिए कुछ शुरुआती खर्च आ रहा है , जिसे आपको वाहन करना होगा . ' लालच बुरी बला है इसीमे में पढ़ा लिखा होशियार व्यक्ति फंस जाता है और फिर अच्छी तरह से लुट -पिट जाता है. मेल करने वाले कभी इस बहाने मेल करते हैं कि वो किसी देश की महारानी है , उसके पति सड़क दुर्घटना में मर चुके हैं , घर के अन्य सदस्य उसकी जान के पीछे पड़े हैं , उसके पास अरबों रुपये की अथाह दौलत है और इस सारी दौलत को भारत में इन्वेस्ट कर , वह भारत में ही सैटल होना चाहती है. मेल पघने वाले के मन में लड्डू फूटने लगते हैं , आगे वह पढता है कि वह अपनी सारी दौलत को उसके पास रखना चाहती है क्योंकि उसने जानकारी निकाली है कि वह बेहद ईमानदार है . उसके मन में दूसरा लड्डू फूटने लगता है . मगर अंत में मेल में वही रटी-रटाई कहानी कि पहले थोड़े से रुपये खर्च करने होंगे . पढ़ने वाला सोचता है कि अगर लाख -दो लाख में करोड़ों का मुनाफ़ा होता है तो रिस्क लेने में बुराई क्या है . आर या पार ? मगर यहीं वह मर खा जा जाता है . वह नाइजीरियन ठगों के चंगुल में बुरी तरह फंस चूका होता है.इसी तरह के लाखों मेल रोजाना लोगों को भेजे जा रहे हैं. मेल भेजने वाले नाइजीरियन हैं, जो मीरा रोड , भायंदर या अन्य स्थानो पर बहुतायत रहते हैं और साइबर कैफे का इस्तेमाल कर लोगों को ठग रहे हैं . ये लोग इतने ढीठ और शातिर होते हैं कि पुलिस इन तक पहुच ही नहीं पाते. ये झगडा करने में भी बड़े माहिर होते हैं. एक बार तो जब एक नाइजीरियन को पकड़ने पुलिस उसके घर पहुँची तो उसने यह कहकर पुलिस को धमकाया था कि उसे एड्स की बीमारी है, अगर पुलिस ने उसे अरेस्ट किया तो वह पुलिस वाले को काट खायेगा और उसे भी बीमार कर देगा ये अलग बात है कि पुलिस वालों ने उसे पकड़ हे लिया था. इन शातिर ठगों को पकड़ने का तरीका मुश्किल नहीं है. अगर सम्बंधित अधिकारी इस कॉलम को पढ़ रहे हैं तो यह उनके काम का नुस्खा है . पहले सरकार यह सर्वे कराये कि मुंबई तथा आसपास के उपनगरों में कितने नाइजीरियन , कहा -कहाँ रहते हैं. , जो लोग ऐसे लोगों को घर या होटल किराए पर देते हैं, उनके लिए सर्वे करने वाले विभाग को जानकारी देना अनिवार्य कर दिया जाए, साइबर कैफे वालों को सख्त हिदायत देकर इन शातिर ठगों का पूरा रिकार्ड चेक किया जाए , जैसे कि इसने किस-किसको मेल भेजे और उनका मजमून क्या था ? सबूत हाथ में आते ही गिरफ्तार कर लिया जाए . ऐसे ठगी के मामले रोकने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए . सख्त क़ानून बनाया जाना चाहिए .

- मुकेश कुमार मासूम













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