Thursday, May 20, 2010
भाजपा की जातिवादी सोच
यूं होने को तो भारतीय जनता पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी होने का गौरव हासिल है, कहा जाता है कि इस पार्टी में पढ़े -लिखे विद्वान लोगों बहुतायत में हैं . भाजपा अपने आपको राष्ट्रवादी होने का डंका भी पीटती आई है , मगर प्रत्यक्ष में अक्सर देखने को मिलता है कि भाजपा की कथनी और करनी में भारी अंतर है. अक्सर देखने में आया है कि भाजपा राष्ट्रवादी कम और जातिवादी ज्यादा है . भाजपा के दो नेताओं वरुण गांधी और विनय कटियार के हाले के बयानों से भी यह बात स्पष्ट रूप से सिद्ध हो जाती है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही के प्रदेश अध्यक्ष बन्ने के बाद पहली बार लखनऊ पहुचने पर उनका एक स्वागत समारोह आयोजित किया गया था.इसी अवसर पर भाजपा सांसद और युवा नेता वरुण गाँधी ने एक खतरनाक एलान किया . उन्होंने कहा कि अगर २०१२ के विधान सभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनती तो मायावती की मूर्तियां हटवाएंगे और राम चन्द्र की मूर्तियां लगवाएंगे . इसके बाद जब विनय कटियार बोले तो सारी मर्यादाएं लांघ गए, राजनीतिक मर्यादा , मानवता की मर्यादा , सबको तार -तार कर दिया . विनय कटियार ने कहा कि अगर भाजपा की सरकार आती है तो मायावती की जगह पर भगवां राम की मूर्तियां इसलिए नहीं लगवाई जा सकतीं क्योंकि वह स्थान अब अपवित्र हो चूका है. विनय कटियार का यह बयां निंदनीय तो है ही , साथ में दंडनीय भी है . एक दलित महिला , जो कि देश के बड़े राज्य की मुख्यमंत्री भी हैं, उनके खिलाफ यह टिप्पणी जातिवादी , मनुवादी मानसिकता की परिचायक है. विनय कटियार की यह टिप्पणी उस देश की महिला के लिए है , जिस देश में कहा गया है कि-' यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते , रमन्ते तत्र देवता . अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है , वहाँ देवता वास करते हैं. लेकिन लगता है अब भाजपा का चेहरा -मोहरा बदल रहा है , अब विद्वानों कि जगह ऐसे गंवारों और नादानो ने ले ली है जो देश की संस्कृति और सभ्यता को बढ़ावा देने के बजाय उसका दोहन कर रहे हैं, गलत छवि पेश कर रहे हैं. जब तक इस देश से जातिवाद की जड़ों को समूल रूप से नष्ट नहीं किया जाता तब तक आमेरिका, चाइना से मुकाबला करने का ख़्वाब भी छोड़ दीजिए . बाहर के मिलकों में सभी जाति, धर्म और प्रान्त के लोगों को सामान रूप से तरक्की करने अवसर दिया जाता है. मगर हमारे देश में उन लोगों को सदियों से प्रताडित किया गया है , जो बहुतायत संख्या में हैं, भारतीय जनता पार्टी आज भी इस प्रताडना और कुप्रथा को हमेशा के लिए बनाए रखने कि ख्वाहिशमंद है . तभी एक दलित और महिला मुख्यमंत्री के खिलाफ इस तरह की अमानवीय टिप्पणी की जा रही हैं. इस घृणित बयानबाजी ने उस घटना को ताजा कर दिया है जो देश के पूर्व उप प्रधान मन्त्री बाबू जगजीवन के साथ घटी थी. दलित नेता बाबू जगजीवन को किसी स्थान पर एक महापुरुष की मूर्ती के अनावरण के लिए बुलाया गया था . बाबूजी आये और अनावरण कर दिया . लेकिन उनके जाने के बाद कुछ मनुवादियों को ये बात हजम नहीं हुई , उन्होंने उस मूर्ती का ' शुद्धीकरण ' किया ताकि उसे पवित्र किया जा सके . ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि मनुवादियों की निगाह में बाबूजी उप प्रधान मंत्री बाद में और दलित पहले थे , और वे ऐसा कैसे बर्दाश्त कर सकते थे कि को अछूत उनकी किसी मूर्ती को भी टच कर सके. उस दौर में और आज के दौर में कुछ फर्क नहीं है आज भी मानसिकता में ज्यादा बदलाव नहीं आया है . उस जातिवादी मानसिकता को बल देने के लिए आज भी वरुण गांधी और और विनय कटियार जैसे लोग मौजूद हैं. वरुण गांधी राष्ट्रीय पहचान बनाने के लिएछटपटा रहे हैं. उनका चचेरा भारी राहुल गांधी जिस तरह मीडिया का तारा बने हुए हैं, वरुण भी ऐसी चाहत रखते हैं मगर आसान से यह संभव नहीं , इसलिए समाज को तोड़ने वाले बयान दे रहे हैं. भाजपा नेतृत्व चुप है . भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद पिछले दिनों लालू प्रसाद यादव और मूल्यम सिंह यादव को कुत्ता कहकर अपनी ओछी मानसिकता का परिचय दे चुके हैं. लोग कह रहे हैं कि जब सरदार ही ऐसा हो तो उसके गिरोह के लोग कैसे होंगे ? एक बार तो वरुण गांधी को अपनी नानी याद आ चुकी है , अब अगर अनुसूचित जाति , जन जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत वरुण गांधी और विनय कटियार खिलाफ केस दर्ज होता है तो नेतागीरी खूंटी पर टंग जायेगी .
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