Friday, June 4, 2010

क्या मतलब शरद पवार ?
गधा नहीं रेंगटा है ?
आई पी एल की पुणे फ्रेंचाइजी की नीलामी में बोली लगाने वालों में केन्द्रीय मंत्री शरद पवार की कंपनी का नाम भी सामने आ रहा है . आईपीएल में पुणे की टीम के लिए कंस्ट्रक्शन कंपनी सिटी कॉर्पोरेशन ने 1176 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। इस कंपनी के 2 करोड़ 7 लाख शेयर में से 16.22 फीसदी शेयर शरद पवार के पास है और सिटी कॉर्पोरेशन में लेप फाइनेंस एंड कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड और नम्रता फिल्म एंटरप्राइजेज लिमि. का शेयर है। इन दोनों कंपनियों के मालिक शरद पवार, उनकी पत्नी प्रतिभा और बेटी सुप्रिया सुले हैं। जब यह मामला उजागर हुआ तो बी सी सी आई के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार साफ़ मुकर गए. और मजेदार या कह सकते हैं कि न हजम होने वालाबयान दे डाला. उनका कहना है कि कम्पनी के एमडी अनिरुद्ध कुमार देशपांडे ने अपनी निजी बोली लगाई थी. उन्हें व्यक्तिगत रूप से बोली लगाने के लिए अनुमति दी गयी थी. जबकि देशपांडे ने तो कमाल ही कर दिया . उन्होंने बयान दिया कि उनको मालूम ही नहीं कि इस कम्पनी में शरद पवार की भी भागीदारी है. एक अलग बयान में उन्होंने कहा कि उन्होंने शेयर होल्डर्स से व्यक्तिगत बोली




लगाने का परमिशन लिया था. लेकिन अगर ध्यान से देखा जाये तो ये दोनों ही झूठ बोल रहे हैं. शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले भी सफ़ेद झूठ बोल रही हैं.क्योंकि जब बोली बाकायदा सिटी कर्पोरेशन ने लगाई थी और इस कंपनी में शरद पवार , उनकी बेटी और उनकी पत्नी के शेयर हैं, ऐसे में यह कैसे हो सकता है कि देशपांडे को यह पता ही न हो कि जिस कंपनी के वे एमडी हैं , उसके शेयर होल्डर कौन हैं ? और जब उन्होंने शेयर होल्डर्स से अनुमति मांगी तब भी क्या उन्हें पता नहीं चला कि वे शेयर होल्डर्स आखिर हैं कौन? इससे साफ़ जाहिर होता है कि दाल में कुछ काला जरूर है . शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय मंत्री से यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वे देश को गुमराह करें. अगर उनकी कंपनी नीलामी में बोली लगाने की प्रक्रिया में शामिल थी तो उन्हें स्वीकारने में हर्ज क्या है ?वे देश के सामने इतना बड़ा झूठ क्यों बोल रहे हैं, जिसे कोई भी पकड़ सकता है . भले ही उनकी कंपनी को पुणे फ्रेंचाइजी नहीं मिल पाई , मगर महत्वपूर्ण बात ये है कि कोई जिम्मेदार मंत्री ऐसा कैसे कर सकता है ? ऐसे लोगों से उच्च आदर्श प्रस्तुत करने की आशा की जाती है अगर वही लोग इस तरह का कार्य करेंगे तो देश का क्या होगा ? आईपीएल अब तक दो महतवपूर्ण लोगों की बलि ले चूका है. आर्थिक व्यवहार के विवाद के चलते ललित मोदी को कमिश्नर के पद से हाथ धोना पड़ा और शशि थरूर को केन्द्रीय विदेश राज्य मंत्री के पद से. अब बारी शरद पवार की है , मगर लगता नहीं कि कांग्रेस उनका कुछ भी कर पाएगी . कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि शरद पवार कांग्रेस के साथ गठबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, उन्होंने पत्रकारों को नसीहत दी कि यदि कुछ पूछना है तो उन्हीसे पूछो. कांग्रेस के तेवर साफ़ बता रहे हैं कि सरकार चलाने की मजबूरी के चलते शरद पवार का कुछ नहीं किया जा सकता. आखिर महाराष्ट्र में भी पवार की पावर के सहारे ही कांग्रेस को सत्ता की मलाई चखने को मिल रही है. जब शशि थरूर को कांग्रेस ने मंत्री पद से हटाया तो उन पर भी यही आरोप लगाए गए थे









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