Thursday, June 10, 2010

राष्ट्र के साथ विश्वाश्घात , राहुल एंड कंपनी की खामोशी

भोपाल गैस त्रासदी मामले के मुख्य आरोपी यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन वारेन एंडरसन को केन्द्र और राज्य सरकार के सहयोग से भगाया गया था। यह खुलासा किसी विपक्षी पार्टी के नेता ने नहीं बल्कि तत्कालीन केमिकल फर्टिलाइजर मंत्री वसंत साठे ने किया है. साथे का कहना है कि केन्द्र और राज्य सरकारों में बैठे कुछ लोगों की मदद के कारण ही वह भारत से भागने में कामयाब हो सका। उसे भगाने के पीछे अमरीकी दबाव हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस मसले पर बाद में केबिनेट बैठक में कभी कोई चर्चा नहीं हुई।
साठे ने कहा कि इस पूरे मामले में एमपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ही सही खुलासा कर सकते हैं। उन्हें अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। जनता पार्टी के अध्यक्ष स्वामी ने सनसनीखेज आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की ट्रस्ट को तीन करोड रुपये दिए गए , उसके बदले में एंडरसन को भगाया गया. यह वही एंडरसन है जिसकी कंपनी से रिसी गैस के कारण २५ हजार से अधिक बेक़सूर भोपालवासी मौत की आगोश में समा गए जबकि हजारों लोग आज तक पीड़ित हैं. ऐसे मामले के मुख्य आरोपी को जिस समय भगाया गया , उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और स्वर्गीय राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री थे. मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार थी मुख्यमंत्री थे अर्जुन सिंह . इसका अर्थ ये हुआ कि कांग्रेस ने देश के साथ विश्वाश्घात किया. यही कारण है कि भोपाल गैस त्रासदी के सम्बन्ध में जो फैलसा आया है उस पर प्रश्नचिन्ह उठ रहे हैं. कांग्रेस ने बेशर्मी की हद पार करते हुए ऐसे बयान देने शुरू किये हैं जिनसे विरोधाभास झलकता है. दिग्विजय सिंह कहते हैं कि इसमें केन्द्र सरकार और सीबीआई जिम्मेदार हैं तो सत्यव्रत चतुर्वेदी इससे नाइत्तेफाकी रखते हैं. अब सवाल ये उठता है कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री क्यों खामोश हैं ? सोनिया गांधी क्यों चुप हैं ? अर्जुन सिंह के होठ क्यों सिले हुए हैं और सबसे अहम सवाल कि जो राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने कि रिहर्सल करते फिरते हैं, दलितो के घरों में पिकनिक मनाते फिरते हैं , अब वे क्यों खामोश हैं ?बस उनको यही दिखता है कि उत्तर प्रदेश में मायावती दलितों के हित में कुछ नहीं कर रही हैं.जब राहुल गांधी के पिता की बात आयी है तो सबने चुप्पी साध ली है. अब राहुल गांधी आआगे आकर इसका खुलासा क्यों नहीं करते कि आखिर देश के २५ हजार बेकसूरों के मुख्य हत्यारे को सरकारी मेहमान बनाकर क्यों रखा गया ? यह काम इतना आसान नहीं हो सकता कि सिर्फ कोई अधिकारी इतना बड़ा दुस्साहस कर सके. त्याग की मूर्ती कहलाने वाली सोनिया गांधी अब त्याग का प्रदर्शन क्यों नहीं करतीं. मनमोहन सिंह अगर सचमुच देश के प्रधान्मंत्री हैं तो भोपाल के गुनाहगारों को बचाने वाले बड़े गुनाहगारों के खिलाफ एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा है . देश यह जानना चाहता है कि आखिर अब भी किसका इन्तजार किया जा रहा है ? कौन आएगा जो एक्शन लेगा ? २५ साल तक इन्तजार कर चुकी भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित आखिर फ़रियाद किअरें तो किस्से ? यह इस देश में ही सम्भव है कि कोई विदेशी हमारे यहाँ व्यापार करे, दौलत और शौहरत कमाए , फिर २५ हजार से ज्यादा लोगों को मौत की आगोश में सुलादे और इसके बाद हमारी सरकारें उसकी खातिर खुशामद करें. ये है कांग्रेस का असली चेहरा . यही है राहुल गांधी के आदर्श . यही है इस परिवार का त्याग ? देश के साथ विश्वाश्घात करने वालों को अगर आज माफ कर दिया गया तो ऐसे हादसे रोज होंगे . कल भोपाल की बारी थी , कल हमारी -आपकी बारी भी आ सकती है.










1 comment:

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji said...

अरे वो तो प्रधानमन्त्री बनने का सपना पाले हुए सो रहा है, जब जागेगा तो सीधे ताज ही पहनेगा.
ताज चमका के रखिये. ;-)