Wednesday, June 23, 2010

कब गिरफ्तार होंगे मासूम बच्चियों के हत्यारे ?
मुंबई के कुर्ला क्षेत्र में एक के बाद एक तीन मासूम बच्चियों की आबरू लूटने के बाद बेरहमी से ह्त्या कर दी गयी है. कार्रवाई के नाम पर स्थानीय पुलिस इन्स्पेक्टर प्रकाश काले का तबादला कर दिया गया है. ७९ लोगों को निर्वस्त्र कर जांच की गयी, मेडिकल कराया गया और ७० लोगों का डी एन ए टेस्ट करवाया गया है. संदिग्धों के स्केच जारी किये गए हैं और कई टीमों का गठन किया गया है . खुद मुंबई पुलिस आयुक्त संजीव दयाल आला अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं , इसके बावजूद बलात्कारी हत्यारे अभी तक पकड़ से दूर हैं. स्कोट लेंड यार्ड के बाद पूरे विश्व में मुंबई पुलिस को सबसे ज्यादा सक्षम माना जाता रहा है. मगर इस घटना ने इस किवदंती पर पूर्ण विराम लगा दिया है. इतने ज्यादा लोगों की जांच करने से साफ़ हो जाता है कि अभी तक पुलिस अँधेरे में ही तीर मार रही है. कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया है . पूरा पुलिस महकमा जैसे फेल सा हो गया है. कुर्ला के लोगों का पुलिस से भरोसा उठ चुका है. वे डरे सहमे हैं और समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर क्या करें . पुलिस की नाकामी से उनका डर और भी ज्यादा बढ़ता जा रहा है . लोग अपने बच्चों को अकेला छोड़ने से डर रहे हैं. जो लोग रोजाना कमाते हैं , रोजाना खाते हैं , उनके लिए बच्चों की देखभाल करना बड़ा मुश्किल हो गया है. अब यहाँ पर राजनीति भी शुरू हो गयी है. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे ने कुर्ला का दौरा कर गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग की है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने सैकड़ों लोगों का मोर्चा निकालकर पुलिस पर दवाब बनाया . लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिर अभी तक पुलिस को इस मामले में सफलता क्यों नहीं मिल पा रही है . ऐसा कौन सा अपराधी या आपराधिक गिरोह है जिसके हौंसले इतने बुलंद हैं कि वह वारदात पर वारदात को अंजाम दिए जा रहे हैं .ऐसे चुनौती देने वाले की गर्दन अभी तक क़ानून के लंबे हाथों से दूर क्यों है ? ये ऐसे सवाल हैं जिनसे आजकल हर मुम्बईकर जूझ रहा है . अगर इसकी जड़ में जाएँ तो पता चलेगा कि कहीं न कहीं इसके लिए पुलिस ही जिम्मेदार है. कुर्ला सहित मुंबई के बहुत से इलाकों में वीडियो पार्लर खुलेआंम चलाये जा रहे हैं. वहाँ पर ब्लू फ़िल्में धडल्ले से चलाई जा रही हैं. सभी नियम क़ानून की धज्जियाँ उड़ाकर ये सब किया जा रहा है . कम उम्र के लड़कों को बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के लिए उकसाने में इन वीडियो पार्लर का भी बहुत बड़ा योगदान है और ये वीडियो पार्लर ऐसे ही नहीं चलाये जाते बल्कि इसलिए पुलिस को बाकायदा हफ्ता दिया जाता है . यहाँ तक कि इलाके के गुंडे और नेता भी इन वीडियो पार्लर चलाने वालों से हफ्ता वसूलते हैं. अगर मुंबई पुलिस चाहती है कि बलात्कार और क़त्ल की वारदातों पर सचमुच काबू पाना है तो सबसे पहले मुंबई और आसपास के क्षेत्रों से उन वीडियों पार्लर को बंद कराये जाने की जरूरत है जिसके कारण युवा पीढ़ी पथभ्रष्ट हो रही है. जिस प्रकार गृह मंत्री आर आर पाटिल ने लेडिज बार बंद कराने में मेहनत की थी , वैसे ही उन्हें सख्ती से इन वीडियो पार्लर को हटाना चाहिए . प्रत्येक इलाके के सीनियर इन्स्पेक्टर को इसके लिए जवाबदेही देनी चाहिए . तब जाकर इस तरह की घटनाओं में कमी आएगी. अब अगर मुंबई पुलिस को अपनी इज्जत बचानी है तो कुर्ला सीरियल किलिंग प्रकरण के अपराधियों को जल्द से जल्द हथकड़ी लगानी चाहिए .












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