Friday, June 25, 2010
फिर बढे डीजल , पेट्रोल ,केरोसिन और रसोई गैस के दाम, और दो कांग्रेस को वोट
एक बार फिर से डीजल , पेट्रोल , केरोसिन और रसोई गैस के दाम बढा दिए गए हैं. इसके अलावा सरकार ने सब्सिडी भी हमेशा के लिए खत्म कर दी है. इससे अब भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय बाजार के हिसाब से पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें वसूली जायेंगी. इससे पहले भी यह सरकार कई बार दाम बढा चुकी है. हाल ही में सी एन जी, एल पी जी के दाम बढाए गए हैं . इसका दुष्प्रभाव ये हुआ कि मुंबई , दिल्ली में आटो, टैक्सी के दाम बढ़ गए . अब होगा ये कि हर चीज और भी मंहगी हो जायेगी . दूध, दही , घी , पनीर, सभी तरह की सब्जियां, प्राइवेट वाहनों का भाडा सब पर मंहगाई का भार बढ़ जाएगा . पहले से ही मंहगाई से लोगों का बुरा हाल था . किसी तरह से घर का किचन चलाया जा रहा था , अब वो भी मुश्किल हो जाएगा. खाने की थाली में अब न जाने क्या बचेगा . ई जी ओ एम् की कीमत बढाने की घोषणा से देश सन्न हो गया है. केन्द्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी ने एक दिन पहले ही प्रणव मुखर्जी से मिलकर अपील की थी कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें नहीं बढनी चाहिए . विरोध स्वरूप वे कैबिनेट की बैठक में भी नहीं गयी थीं. मगर उनके विरोध का कोई असर नहीं हुआ. कीमतें आखिरकार बढ़ा दी गईं, अब ममता क्या करेंगी ? क्या वे मंत्रीपद छोड़ देंगी ? क्या उनका विरोध सच्चा था , या महज ड्रामा था ? अगर ड्रामा नहीं था तो उन्होंने मंत्रीपद छोड़ क्यों नहीं दिया ? वे चाहें तो सरकार गिराई जा सकती है. उनेहं बस पहल करने की जरूरत है. मगर सत्ता का सुख जनता के लिए छोड़ना बहुत मुश्किल काम होता है. हमारे नेता सिर्फ जनता की भलाई करने का नाटक करते हैं. जब वे नाटक करने भर से ही सत्ता का सुख भोग सकते हैं तो उन्हें सचमुच जनता की भलाई करने की क्या जरूरत हा. कांग्रेसियों को मालूम है कि भारत की जो जनता वोट देती है , वह ज्यादातर बिकाऊ या भडकाऊ है. किसी ने जातिवाद का नारा बुलंद किया तब भड़क गयी. अपना कीमती वोट जातिवाद की राजनीति करने वालों को दे दिया, और किसी साम्प्रदायिक पार्टी ने धर्म का नारा दिया तब भी आसान से बहाल जाती है, अपने वोट सम्प्रदाय के नाम पर समर्पित कर देती है.रही सही कसर नोटों से पूरी हो जाती है. कांग्रेस के लोग आराम से उन लोगों के वोट खरीद लेते हैं. जो लोग अपना वोट बेचते हैं वे एक दो दिन तो मुर्ग मसल्लम का स्वाद चखते हैं, दारु पीने को मिलती है मगर अगले पांच सालों तक नेता उनके वोट वसूलकर उनका खून चूसते हैं. काँग्रेस ने आम आदमी के हित का वादा करके लोगो से वोट वसूले थे, अब उसी जनता के साथ अन्याय किया जा रहा है. पहले से ही जो लोग दाने -दाने को मोहताज थे , उन पर जानलेवा मंहगाई का शिकंजा कस दिया गया है.भाजपा ने इस बढोतरी को जनता को तहस -नहस करने वाला कदम बता रही है. उसने पूरे देश में आंदोलन करने का एलान किया है . भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस देश के लोगों के साथ अन्याय कर रही है. इस बार भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी चुप हैं. भले ही सोनिया गांधी इस देश में जन्मी नहीं है , यहाँ के बारे में ज्यादा नहीं जानतीं, मगर राहुल गांधी तो यहाँ की गरीबी और बेरोजगारी से अच्छी तरह से परिचित हैं. वे अपनी सरकार से इस सम्बन्ध में बात क्यों नहीं करते ? आखिर इतनी मंहगाई बढाने से कांग्रेस को मिलने वाला क्या है ? ऐसा लगता है कि कांग्रेस सिर्फ कुछ चुनिन्दा दलालों, कारपोरेट घरानों और मुनाफेखोरों की भलाई के बारे में ही सोचती है. ऐसी निकम्मी सरकार को एक पल भी पावर में रहने का अधिकार नहीं है. देशवासियों में अगर ज़रा भी नैतिकता है तो अगली बार चाहे किसीको भी दें मगर कांग्रेस और उसके सहयोगियों को हरगिज वोट नहीं करें. वोट के खरीदारों को एक बार यह एहसास कराने का वक्त आ गया है कि हमारे वोटों से चुने जाने वालों को बाप बनने का अधिकार नहीं है. जिसे हम जन्म देते हैं वो हमारी औलाद होती है. हमारे वोटों से मंत्री , मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री बनने वालों को याद दिलाना होगा कि वे हमारी वोटों से पैदा हुए हैं , इसलिए वे बेटे हुए और बेटे बनकर रहें तो बेहतर वरना अगली बार लायक औलाद पैदा की जायेगी
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