Sunday, June 20, 2010
नीतिश ने पांच करोड लौटाकर गुजरात का अपमान किया
बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार सत्ता के नशे में सब कुछ भूल गए हैं. याहन तक कि शिष्टाचार और मानवीयता भी , वरना वे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पांच करोड की मदद को इस तरह नहीं लौटाते . नरेंद्र मोदी ने बिहार के बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए यह रकम दान में दी थी. भाजपा, काग्रेस , राजद आदि ने इसकी निंदा की है. यह मामला तब शुरू हुआ जब बिहार के अखबारों में नरेन्द्र मोदी और नीतिश कुमार के फोटो हाथ में हाथ मिलाते हुए दिखाई दिए, यही फोटो पटना में छपे पोस्टरों में भी नजर आये. तब जाकर नीतिश कुमार को पता चला कि जिस पार्टी (भाजपा ) के सहयोग से वे पिछले कई सालों से मुख्यमंत्री पद का सुख भोग रहे हैं , वह साम्प्रदायिक पार्टी है . तभी उनको ये एहसास हुआ कि नरेंद्र मोदी भी उसी भाजपा के नेता हैं. इससे पहले उन्हें सिर्फ कुर्सी दिखाई दे रही थी. मगर अब चुनाव सिर पर हैं. इसलिए अब नीतिश कुमार के ज्ञान चक्षु खुल रहे हैं. उन्हें स्वाभिमान, सम्मान की याद आने लगी है. अब अब जाकर वे जान पाए हैं कि गुजरात में नरेंद्र मोदी के शासन में मुस्लिम समाज के लोगों पर अन्याय हुआ, जुल्मो -सितम हुए. क्यंकि चुनाव सिर पर हैं और मुस्लिम समाज का एकमुश्त वोट हासिल करना है , इसलिए अब समझदानी का साइज अचानक बढ़ गया है. अगर उनके फोटो नरेंद्र मोदी के साथ छपेंगे तो मुस्लिम समाज के लोग उनसे नाराज हो जाएगा , जिससे वोट काटने का पूरा ख़तरा है. फिलहाल मुस्लिम समाज लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान से दूर है , नीतिश कुमार उसीका फायदा उठाकर मुस्लिम समाज के वोट एंठना चाहते हैं.तभी तो गुलगुलों से ऐतराज दर्ज करा रहे हैं, नीतिश कुमार को यह बताना चाहिए कि अगर वे नरेंद्र मोदी की मदद को लौटा सकते हैं तो उनकी पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री क्यों बने ? अगर अबन गए और अब उनकी अंतरआत्मा जाग चुकी है तो तत्काल प्रभाव से इस्तीफा क्यों नहीं देते ? दूसरी बात ये कि नरेंद्र मोदी ने जो पांच करोड की राशि दी थी वह अपने फंड से नहीं बल्कि गुजरात के मुख्यमंत्री के फंड से दी थी अर्थात वह राशि गुजरात की थी, गुजरात के लोगों की थी. वहां के लोगों का दिल देखिये कि उन्होंने तो इसका विरोध नहीं किया , जबकि वे रोक -टोक सकते थे. मगर बिहार के मुख्यमंत्री ने अपने स्वार्थ के लिए यानि कि मुस्लिम समाज को खुश करने के लिए सहायता राशि लौटा दी. इससे नुक्सान तो बिहार के बाढ़ पीड़ित लोगों का हुआ ना. जो पीड़ित हैं , उनमे हिंदू , मुस्लिम सभी लोग शामिल हैं. वह पैसा किसी एक धर्म के लोगों नहीं बल्कि सभी पीडतों में बांटा जाने वाला था , जिसे नीतिश कुमार ने लौटा दिया. इससे जद यू और भाजपा के बीच की खाई बढ़ गयी है. खुद नीतिश कुमार इस मुद्दे को हवा देना चाहते हैं और यहाँ तक कि खुद मोदी ने भी राजनीतिक फायदे के लिए ही यह सहायता राशि दी थी. ताकि चुनाव के दौरान इस बात को भुनाया जा सके . तो यहाँ पर सिर्फ नीतिश कुमार ही नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी भी सियासी चाल खेल रहे हैं. यह सिओर्फ़ इसी देश में संभव है कि नेता लोग बाढ़ पीड़ितों के जख्मों पर भी नमक लगाने से बाज नहीं आते.उन्हें सिर्फ अपनी कुर्सी से मतलब रहता है. अब नीतिश कुमार की चाल ये है कि वे इस मुद्दे को गरमाकर यह दिखाना चाहते हैं कि वे मोदी के कितने विरोधी हैं और मुस्लिमों के हितों की खातिर वे किसी भी हद तक जा सकते हैं. अगर गठबंधन टूटता भी है तो उन्हें मुस्लिम समाज की सहानुभूति मिलेगी , उसी लहर पर सवार होकर वे चुनाव की नैया पार लगाना चाहते हैं. मगर असली ताकत तो जनता के पास है. जनता को सजग होकर ऐसे खोखले और झूठे धर्म निरपेक्ष लोगों के चेहरे से नकाब उतार देना चाहिए . ऐसे लोगों के खिलाफ वोटिंग अच्छे लोगों की सरकार बनानी चाहिए .
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