Sunday, June 6, 2010

प्रकाश झा की राजनीति
कहीं की ईंट , कहीं का रोड़ा
प्रकाश झा अच्छे फिल्म मेकर हैं , अब तक वे सार्थक फ़िल्में बनाते आये हैं, मगर इस बार उन्होंने दर्शकों के साथ ही राजनीति कर डाली है. घिसी -पिटी कहानी, प्रभावहीन संगीत और गाने के नाम पर टुकड़े-टुकड़े कुछ मुखड़े . बेचने का पूरा मसाला मौजूद . कई दीर्घ होठों के चुम्बन. सी ग्रेड टाइप बेड रूम द्रश्य, जिनकी प्रकाश झा से अपेक्षा नहीं की जा सकती , और सबसे बड़ी बात ये कि इस मसाले को बेचने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम का इस्तेमाल , इससे बस इतना ही फायदा मिला कि अखबार , टी.वी. में प्रचार हो गया. कुछ टी.वी. अखबारों में समीक्षा की सेटिंग करके फिल्म को तीन और कहीं ज्यादा स्टार दिलवा दिए , कुल मिलाकर फिल्म के अंदर राजनीति बहुत कम और बाहर बहुत ज्यादा की गयी.फिल्म देखने के बाद लोग खुद को ठगा सा महसूस करते हैं. अश्लील द्रश्य, हिंसा , साजिस और इसके अलावा कुछ नहीं . कहानी ऐसी घटिया कि लिखने वाले पर तरस आये , स्क्रीन प्ले ऐसा कि सर दुखने लगे. नामचीन कलाकारों के जमघट के सिवाय कुछ नहीं, कुछ भी तो नहीं. जब तक कोई फिल्म रिलीज नहीं हो पाति तब तक प्रोडक्शन टीम के अलावा किसीको भी यह जानकारे नहीं होती कि फिल्म के अंदर किस तरह के द्रश्य हैं, टीम के लोग भी बस अपना काम भर जानते हैं, साथ ही यह भी जानते हैं कि उन्होंने जितना काम किया है , उसमे से कितना रहेगा , कितना बचेगा यह सिर्फ एडिटर और डायरेक्टर जानता है , फिर कांग्रेस के छुटभैया नेताओं को कैसे पता चला कि 'राजनीति ' में कैटरीना कैफ का किरदार सोनिया गांधी से मिलता जुलता है . जबकि सच्चाई ये है कि बिलकुल है भी नहीं. जाहिर सी बात है कि इस विवाद को खुद प्रकाश झा ने खुद जन्म दिया , और इसे पाला पोसा भी , ताकि मुफ्त की पब्लिसिटी मिल सके और लोग भ्रमित होकर सोनिया गांधी की फिल्म देखने दौड़े चले आयें. सोनिया गांधी इटली की रहने वाली हैं. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी से विवाह किया और लिट्टे के आतंकियों के हमले में जब वे शहीद हो गए तो कालान्तर में सोनिया गांधी को कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. उन्होंने उस समय एक महान त्याग का परिचय दिया जब उन्होंने प्रधानमंत्री के पद को ठुकरा दिया . जबकि प्रकाश झा की 'राजनीति' का चरित्र अर्थात कैटरीना कैफ अर्थात इंदु के पति की ह्त्या के बाद उन्हें क्षेत्रीय पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाता है. स्पष्ट बहुमत के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बानाया जाता है. अगर किसी फिल्म में किसी विधवा को नेता के तौर पर दिखाया जाता है तो क्या वह प्रसंग सोनिया गांधी से ही जुडा होगा ? फिर कांग्रेस के छुटभैया नेता इस फिल्म पर बवाल क्यों मकाहा रहे थे ? कहीं उनके साथ भी तो किसी तरह की कोई 'राजनीतिक' डील तो नहीं की गयी थी?

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