Friday, June 11, 2010

दिल्ली पुलिस की दरिंदगी
बेटे को किया माँ से बलात्कार के लिए मजबूर
दिल्ली में पिछले दिनों एक ऐसी घटना प्रकाश में आई , जिसने दरिंदगी की सारी हदें पार करदीं. फिलहाल कार्रवाईके नाम पर तीन पुलिस वालों को सस्पेंड कर दिया है , मगर इसने हमारे सिस्टम पर ऐसा बदनुमा दाग लगा दियाहै , जिसे धोना बहुत मुश्किल है. देश की राजधानी दिल्ली में आखिर किसी पुलिसवाले के हौंसले इतने बुलंद कैसेहोते हैं कि वो किसी महिला के सारे कपडे उतरवाए और उसके बेटे को उससे बलात्कार करने के लिए मजबूरकरे.यह घटना सभ्य समाज के माथे पर कलंक की तरह है . दिल्ली के मायापूरी इलाके में झा दंपत्ति अपने दो बेटोंरमेश (१०) और राजू (१२ ) के साथ रहते हैं . २१ मई को अचानक उनके बेटे कहीं गायब हो गए. काफी खोजबीन केबाद भी जब कहीं पता नहीं चला तो वे पुलिस थाने भी गए , लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ . जब वे घर आये तो घरपर भीड़ जमा थी. कुछ पुलिसकर्मी उनके घर के सामने आये तो वहाँ पर भीड़ एकत्रित मिली . जब उन्होंनेपुलिसवालों से अपने बेटों के बारे में पूछताछ की तो उन्हें उलटा ही जवाब मिला. पुलिस श्रीमती झा को पुलिस थानेले आई , वहाँ पर राजू के सामने ही उसकी माँ को नग्न किया गया. नग्न करने के बाद बेटे को विवश किया गयाकि वह अपनी माँ के साथ बलात्कार करे . ऐसा करने पर उन्हें खूब पीटा गया . यह सिर्फ अकेली घटना नहीं हैजिसने पुलिस का असली चेहरा उजागर कर दिया है. बात महज दिल्ली की ही नहीं है, सारे देश में ऐसी घटनाएंअक्सर देखने सुनने को मिलती हैं
.राजस्थान में धौलपुर जिले के सैंपऊ कस्बे में पुलिसवालों ने चोरी के एक मामले में पूछताछ के दौरान एक वृद्ध को पेड़ पर लटकाकर यातना दी। मामला उजागर होने के बाद एसपी ने इलाके के थानेदार को निलंबित कर प्रकरण की जांच एडिशनल एसपी को सौंपी है।
सैंपऊ की एक मोटर पार्ट्स की दुकान से 27 मार्च की रात को करीब डेढ़ लाख रुपए का सामान चोरी हो गया था। इस मामले में पूछताछ के दौरान जयदेव के हाथ पीछे बांधकर रस्सी से पेड़ पर लटका दिया गया। इस दौरान थाना प्रभारी राजेंद्र कविया और अन्य पुलिसकर्मी रस्सी को खींच रहे थे। मौके पर मौजूद वृद्ध की पत्नी ने दया की गुहार लगाई तो थाना प्रभारी ने उसे भी पेड़ पर लटका देने की धमकी दी। तभी वहां एक फोटो जर्नलिस्ट के पहुंचने पर पुलिस ने तुरंत वृद्ध को नीचे उतार लिया।

ऐसी घटनाओं से मानवता भी शर्मसार हो जाती है. सवाल ये उठता है कि आखिर पुलिसवाले इतना दुस्साहस कैसे कर लेते हैं. ऐसा कैसे होता है कि कुर्सी पर बैठा पुलिसवाला अपने हाथ में क़ानून ले लेता है . वह संविधान को ताक पर रख देता है. ऐसा गर बार -बार और हर बार होता है तो ऐसा समझने चाहिए कि इस विभाग में ऐसा कुछ हो रहा है जो कानून के खिलाफ है, मानवता के खिलाफ है और यहाँ तक कि सभ्य समाज के खिलाफ है. और ऐसी स्थिति में आमूल -चूल परिवर्तन की जरूरत है. जब राजनेता पुलिस का गलत इस्तेमाल करते हैं तो इससे होता ये है कि पुलिसवाले भी निरंकुश हो जाते हैं और उनमे से कुछ तो ऐसे होते हैं जो क़ानून को खिलौना समझकर सारे गैर कानूनी काम करने लगते हैं. इसलिए सबसे पहले पुलिस का गलत इस्तेमाल बंद करना होगा. इसके बाद समय- समय पर कोई ऐसी स्वतंत्र जांच एजेंसी बनानी होगी जो अपराधियो के साथ- साथ गलत पुलिसवालों पर भी नजर रख सके. अगर ऐसा नहीं हुआ तो ऐसे हादसे रोजाना होते रहेंगे .














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